COVID-19 Antibodies: एक नई स्टडी में पाया गया है कि वैक्सीन की अपेक्षा शरीर में COVID-19 संक्रमण लगने से उत्पन्न हुई एंटीबॉडी ही संभावित रूप से दीर्घकालिक सुरक्षा प्रदान करती है।
स्टडी करने वाले इज़रायल के विशेषज्ञों ने मोटापे से ग्रस्त पहले संक्रमित हुए रोगियों में भी उच्च और अधिक स्थाई इम्यूनिटी (Immunity) बनने की जानकारी दी है।
यह सर्वविदित है कि समय के साथ SARS-CoV-2 एंटीबॉडी की संख्या पहले से संक्रमित और वैक्सीन लगवा चुके इंसानों में घटती जाती है।
हालांकि, स्टडी की मानें तो पहले से संक्रमित हुए इंसानों की एंटीबॉडी के प्रदर्शन में इसके बाद ही सुधार होता है, न कि कोरोना वैक्सीनेशन लगवाने से।
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यह अभूतपूर्व खोज इज़राइल स्थित शेबा मेडिकल सेंटर के शोधकर्ताओं द्वारा की गई है।
उनकी यह जानकारी 23 से 26 अप्रैल को लिस्बन में होने वाले यूरोपियन कांग्रेस ऑफ क्लिनिकल माइक्रोबायोलॉजी एंड इंफेक्शियस डिजीज सम्मेलन में प्रस्तुत की जाएगी।
स्टडी में इस रहस्य से पर्दा उठाया गया है कि नए संक्रमण के खिलाफ पहले से कोरोना संक्रमित मरीज केवल वैक्सीन लगे इंसानों की तुलना में ज्यादा सुरक्षित क्यों होते है।
सबूत जुटाने के लिए रिसर्च टीम ने एक वर्ष तक 130 स्वस्थ इंसानों में एंटीबॉडी-प्रेरित इम्यूनिटी का विश्लेषण किया था।
उन्होंने ऐसे इंसानों की तुलना फाइजर वैक्सीन की डबल डोज लगवा चुके बिना संक्रमण वाले 402 व्यक्तियों से की।
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टीम ने पाया कि COVID-19 से रिकवर हुए रोगियों की तुलना में टीकाकरण के एक महीने बाद एंटीबॉडी की संख्या अधिक थी।
हालांकि, जल्द ही टीकाकरण समूह में एंटीबॉडी की संख्या अधिक तेजी से घटती मिली। दूसरी ओर, संक्रमण से उबर रहे मरीजों की एंटीबॉडी की गुणवत्ता में वृद्धि दर्ज की गई।
इस घटना से यह जानकारी मिली कि क्यों डबल-वैक्सीन लगवा चुके लेकिन कोरोना संक्रमण से बचे रहने वालों में छह महीने के बाद संक्रमण होने की अधिक आशंका होती है।
स्टडी में यह भी पाया गया कि, अपेक्षाओं के विपरीत, सामान्य वजन वालों के मुकाबले अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त लेकिन ठीक हो चुके रोगियों की एंटीबॉडी अधिक थी।
विशेषज्ञों की राय में पहले संक्रमित हो चुके मोटे लोगों को अब भविष्य में होने वाले संक्रमण का कम डर होगा।
इसके अलावा, लंबे समय तक संक्रमण से प्रभावित रहे ठीक हो चुके मरीजों को मेंटल हेल्थ, न्यूरोलॉजिकल, कार्डियोवैस्कुलर और श्वसन संबंधी समस्याओं का भी खतरा देखने को मिला।
निष्कर्षों में कहा गया है कि कोरोना से ठीक हुए मरीजों और वैक्सीन लगाए गए व्यक्तियों दोनों में एंटीबॉडी स्तर समय के साथ घटता है। ऐसे में, संक्रमण के बाद एंटीबॉडी की गुणवत्ता बेहतर होती है, लेकिन वैक्सीन के बाद नहीं।
इन निष्कर्षों से वैक्सीन प्राप्त और संक्रमण से ठीक हुए इंसानों की Covid-19 के विरुद्ध बनी इम्यूनिटी की विशिष्ट विशेषताएं समझ में आती है।
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