Covid-19 booster dose: बूस्टर डोज सहित कोरोना वायरस से बचाव वाले mRNA टीकों की प्रभावशीलता समय के साथ कम होती जाती है, यह खुलासा किया है एक नई रिपोर्ट ने।
रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना के डेल्टा वैरिएंट की अपेक्षा ओमिक्रॉन लहर के दौरान वैक्सीन की प्रभावशीलता समग्र रूप से कम थी।
यह रिपोर्ट अमेरिका के रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) द्वारा एक राष्ट्रव्यापी अध्ययन के बाद प्रकाशित की गई है।
Pfizer या Moderna की तीसरी खुराक लगने के चार महीने बाद ही गंभीर COVID-19 के प्रति कमजोर होती इम्युनिटी की जानकारी देने वाला यह पहला अध्ययन है।
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डेल्टा और ओमीक्रॉन दोनों प्रकार के वैरिएंट की लहर के दौरान वैक्सीन लगवा चुके इंसानों की इम्युनिटी भी कमजोर पड़ गई थी।
ऐसे में बूस्टर डोज का प्रस्ताव रखा गया था, ताकि कमजोर होती इम्युनिटी को फिर से मजबूत किया जा सके। लेकिन यह भी कई महीनों बाद वायरस-बचाव में कमजोर होती गई।
हालांकि, इस स्टडी से पहले तक तीसरी खुराक को COVID-19 संक्रमण से हुई गंभीर बीमारी रोकने में अत्यधिक प्रभावी बताया गया था।
अध्ययन में पहली बार कोरोना के सभी वैरिएंट की लहर में तीनों टीकों से उत्पन्न सुरक्षा स्थिरता के बारे में जानकारी दी गई है।
निष्कर्ष बताते है कि कमजोर स्वास्थ्य की ज्यादा जोखिम वाली आबादी को COVID-19 से सुरक्षित रखने के लिए अब अतिरिक्त टीकों की आवश्यकता हो सकती है।
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हालांकि, अध्ययन में यह भी पाया गया है कि mRNA वैक्सीन की दूसरी और तीसरी खुराक वाले व्यक्तियों को गंभीर बीमारी की अवस्था में अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं पड़ी।
लेकिन वैक्सीन की प्रभावशीलता डेल्टा की अपेक्षा ओमिक्रॉन लहर में ज्यादा कमजोर थी।
रिपोर्ट के मुताबिक, बूस्टर डोज लगने के दो महीनों के भीतर अस्पताल में तत्काल भर्ती से बचाव में वैक्सीन की प्रभावशीलता 97 प्रतिशत तक थी, जो अगले चार महीने या उससे अधिक समय में 89 प्रतिशत तक पहुंच गई।
ओमिक्रॉन लहर की चरमावस्था में टीके की प्रभावशीलता तीसरी खुराक लगने के बाद पहले दो महीनों के दौरान 87 प्रतिशत थी, जो चार महीनों में घटकर 66 प्रतिशत हो गई।
तीसरी खुराक के बाद डेल्टा वैरिएंट संक्रमण से अस्पताल में भर्ती होने से बचाव की स्थिति दो महीने के भीतर 96 प्रतिशत से घटकर चार महीने या उससे अधिक समय के बाद 76 प्रतिशत तक हो गई।
इसके विपरीत, ओमिक्रॉन वैरिएंट में यह प्रभावशीलता 91 प्रतिशत थी, जो चार महीनों में घटकर 78 प्रतिशत हो गई।
रिपोर्ट में प्रकाशित निष्कर्ष मध्यम से गंभीर स्तर की COVID-19 बीमारी रोकने में mRNA वैक्सीन की तीसरी खुराक के महत्व की पुष्टि करते है, विशेष रूप से गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं वाले लोगों में।
वैक्सीनों से मिली ये सुरक्षा तीसरी खुराक के बाद कई महीनों तक बनी रह सकती है। इसके बाद आगे की सुरक्षा बनाए रखने के लिए और बूस्टर टीकों पर विचार करने की आवश्यकता बताई गई है।
इस स्टडी के लिए सीडीसी ने सात अमेरिकी हेल्थ सिस्टम के अलावा 10 राज्यों और 14 संस्थानों के विशेषज्ञों का सहयोग लिया था।
स्टडी के नतीजे, सीडीसी की Morbidity and Mortality Weekly Report में प्रकाशित हुए है।