Covid-19 booster dose: कैंसर पीड़ितों (Cancer patients) को अक्सर ऐसे उपचार दिए जाते है जो उनकी जन्मजात प्रतिरक्षा सुरक्षा को कमजोर कर देते है।
ऐसे में, कोरोनावायरस से संक्रमित होने पर उनकी हालत बिगड़ने का खतरा ज्यादा हो जाता है। साथ ही, उनके कैंसर उपचार में रुकावट का भी जोखिम उत्पन्न होता है।
इसलिए सभी कैंसर रोगियों के लिए COVID वैक्सीन और बूस्टर डोज की सिफारिश की गई है।
इसी विषय पर वियना की एक मेडिकल यूनिवर्सिटी द्वारा की गई स्टडी से पता चला है कि कैंसर के कई मरीजों में तीसरे टीकाकरण या बूस्टर डोज के बाद SARS-CoV-2 वायरस के खिलाफ पर्याप्त इम्युनिटी बन सकती है।
- Advertisement -
संबंधित जानकारी के लिए वैज्ञानिकों ने ब्लड टेस्ट द्वारा 439 कैंसर रोगियों में तीसरी खुराक के बाद मौजूद एंटी SARS-CoV-2 स्पाइक प्रोटीन एंटीबॉडी के स्तर की जांच की।
शुरुआती विश्लेषण में गंभीर ट्यूमर और हेमटोलॉजिकल विकृतियों के साथ एंटी-बी-सेल (anti-B-cell) उपचार नहीं ले रहे रोगियों में दूसरे टीकाकरण के बाद 3 से 6 महीने के बीच बने एंटीबॉडी स्तर में कमी पाई गई।
लेकिन, तीसरी बूस्टर खुराक के बाद कैंसर रोगियों के एंटीबॉडी स्तर में फिर से वृद्धि हुई। हालांकि, नए एंटीबॉडी स्तर स्वस्थ इंसानों जितने उच्च न होने के बावजूद मरीजों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए पर्याप्त थे।
गौर करने वाली बात यह थी कि ब्लड कैंसर के मरीजों में ऑटोइम्यून डिजीज रोकने वाली सीडी 20-चिकित्सा के चलते ऐसी कोई सुरक्षा विकसित नहीं हुई।
यह चिकित्सा आवश्यक एंटीबॉडी विकसित करने वाली कोशिकाओं के निर्माण को रोकती है।
- Advertisement -
ऐसे मामलों में बूस्टर डोज भी वांछित प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया लाने में विफल रहा। इसलिए, वैज्ञानिकों ने ऐसे मरीजों को सामाजिक संपर्क के समय विशेष रूप से सतर्क रहने की आवश्यकता कही है।
स्टडी में तीसरी खुराक के बाद कैंसर के मरीजों में ज्ञात सबसे आम दुष्प्रभावों में शरीर का दर्द, थकान, बुखार, ठंड लगना आदि शामिल थे। ये सभी लक्षण कैंसर रहित लोगों में भी दर्ज किए गए।
यूरोपियन जर्नल ऑफ कैंसर में प्रकाशित इन परिणामों और इस तथ्य के आधार पर कि दुष्प्रभाव सहनीय है, सभी कैंसर रोगियों को बूस्टर वैक्सीन लगवाने की सलाह दी गई है।
Also Read: COVID-19 वैक्सीन का एक्सरसाइज क्षमता पर असर जानिए