Covid-19 blood RNA test: कोरोना संक्रमित होने के बाद किसी व्यक्ति की हालत कितनी खराब हो सकती है, इसका पता केवल एक ब्लड टेस्ट से ही लग सकेगा।
यह संभावना अमेरिकी शोधकर्ताओं ने उनके एक हालिया परीक्षण में जताई है।
दरअसल, कोरोना के SARS-CoV2 वायरस से संक्रमित होने पर मरीजों में बिना कोई लक्षण से लेकर फ्लू या अत्यधिक गंभीरता के जानलेवा हालात पैदा हो सकते है।
ऐसे में स्वास्थ्य कर्मियों के लिए यह तय कर पाना मुश्किल होता है कि अस्पताल में भर्ती हुए किस मरीज को तुरंत जीवन बचाने वाली उच्च स्तर की देखभाल दी जानी चाहिए।
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इसे सुलभ बनाने के लिए अमेरिका की जॉर्ज वाशिंगटन यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर के शोधकर्ताओं ने आईसीयू में भर्ती COVID-19 रोगियों के रक्त RNA का विश्लेषण किया है।
इससे उन्हें यह अनुमान लगाने में मदद मिली है कि अस्पताल में भर्ती होने के बाद किसी कोरोना रोगी के गंभीर रूप से बीमार पड़ने की संभावना है या नहीं।
विश्लेषण के दौरान उन्होंने पाया कि गंभीर मरीजों के खून में एक विशेष प्रकार की श्वेत रक्त कोशिकाओँ का स्तर बढ़ जाता है।
उनका दावा है कि इस जानकारी को ध्यान में रखते हुए एक साधारण ब्लड टेस्ट से भी डॉक्टरों को पता चल जाएगा कि किस रोगी को सबसे अधिक देखभाल की आवश्यकता है।
यह जानकारी उन्हें नवंबर 2020 से मार्च 2021 तक अस्पताल में भर्ती 47 से 62 वर्षीय 38 कोरोना संक्रमितों की जांच से प्राप्त हुई है।
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संक्रमितों में हल्के से लेकर कोई लक्षण न दिखाने वाले और आईसीयू उपचार तक की आवश्यकता वाले मरीज थे।
शोधकर्ताओं ने पाया कि COVID-19 पॉजिटिव मरीजों की लाल रक्त कोशिकाओं की तुलना में श्वेत रक्त कोशिकाओं में होने वाले परिवर्तन सबसे अधिक ध्यान देने योग्य थे।
कोरोना बीमारी के दौरान अधिक गंभीर मरीजों में सबसे सामान्य प्रकार की श्वेत रक्त कोशिका, जिसे न्यूट्रोफिल कहा जाता है, में 25 गुना वृद्धि देखी गई।
इसके अलावा, उनकी टी-कोशिकाओं में भी कमी पाई गई थी। ये भी एक प्रकार की श्वेत रक्त कोशिकाएं है, जो बीमारी में सुरक्षा प्रदान करती है।
कम गंभीर मरीजों की तुलना में गंभीर रोगियों में दोनों प्रकार की कोशिकाओं के बीच का अनुपात दोगुने से अधिक था।
उनकी यह खोज पिछले अध्ययनों का समर्थन करती है जिनका सुझाव था कि कोशिकाओं के बीच का अनुपात गंभीरता को निर्धारित करने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक है।
इन लक्षणों का उपयोग करके अमेरिकी शोधकर्ता एक ऐसा परीक्षण विकसित करने में सक्षम थे, जो एक रोगी में अधिक गंभीर कोरोना होने की संभावना को बता सकेगा।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि अभी तक कोरोना पॉजिटिव बताने वाले RT-PCR और LFTs परीक्षण ही है। लेकिन इनसे कोई रोगी कितना बीमार हो सकता है, यह संकेत नहीं मिलता।
पीएलओएस वन में प्रकाशित, इस परीक्षण के नतीजों को सुरक्षित और प्रभावी बताने के लिए विशेषज्ञों ने अभी और अध्ययनों की आवश्यकता बताई है।
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