Severity in Covid-19: कोरोना संक्रमितों पर हुए एक अध्ययन में उनके गंभीर रूप से बीमार होने के कारणों का खुलासा किया गया है।
बेयलर कॉलेज ऑफ मेडिसिन के वैज्ञानिकों की इस स्टडी में कोरोनावायरस संक्रमित बीमार मरीजों के शरीर की कोशिकाओं को जबरदस्त नुकसान और ग्लूटाथियोन एंटीऑक्सिडेंट (Glutathione antioxidant) का निम्न स्तर देखा गया है।
यह दुष्प्रभाव 2019 की महामारी शुरू होने से पहले लिए गए स्वस्थ इंसानों के खून के नमूनों की तुलना में COVID-19 ग्रस्त अस्पताल में भर्ती रोगियों में अत्यधिक मिला है।
जर्नल एंटीऑक्सिडेंट्स में प्रकाशित परिणाम बताते है कि ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस (Oxidative stress) और ऑक्सीडेंट डैमेज (Oxidative damage) को कम करने सहित ग्लूटाथियोन स्तर को बढ़ाने से COVID-19 रोगियों की गंभीर हालत में सुधार किया जा सकता है।
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बता दें कि शरीर में हानिकारक फ्री रेडिकल्स (free radicals) बढ़ने से ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस होता है, जो कोशिकाओं, झिल्ली, लिपिड, प्रोटीन और डीएनए को नुकसान पहुंचाता है। इससे बचने के लिए हमारे शरीर की कोशिकाएं ग्लूटाथियोन बनाती है।
फ्री रेडिकल्स को बेअसर करने में विफल रहने पर कोशिकाएं बुरी तरह प्रभावित होती है, जिसका दुष्प्रभाव शरीर पर पड़ता है।
अत्यधिक ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस और कम ग्लूटाथियोन स्तर उम्र बढ़ने, डायबिटीज, एचआईवी संक्रमण, न्यूरोडीजेनेरेटिव विकार, हृदय संबंधी विकार, न्यूरोमेटाबोलिक रोग, मोटापा और कई अन्य जानलेवा बीमारियों से जुड़ा हुआ है।
स्टडी के वैज्ञानिकों ने अस्पताल में भर्ती 21 से 85 वर्ष के कोरोना पॉजिटिव महिलाओं और पुरुषों से लिए खून के नमूनों में मिले इन दुष्प्रभावों की तुलना स्वस्थ व्यक्तियों से की।
उन्हें यह देखकर आश्चर्य हुआ कि 21 से 40 और 41 से 60 वर्ष के COVID-19 रोगियों में बहुत कम ग्लूटाथियोन और अधिक ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस था।
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गौरतलब है कि यह स्थिति अक्सर 60 से अधिक के बुजुर्गों में देखी जाती है।
इन्हीं वैज्ञानिकों के पिछले अध्ययन में बढ़े हुए ऑक्सीडेटिव स्ट्रेस और कम ग्लूटाथियोन को न केवल वृद्धों में, बल्कि एचआईवी, वायरल संक्रमित और डायबिटीज रोगियों में भी देखा गया था।
इस घातक स्थिति को रोकने के लिए टीम ने ऐसे सप्लीमेंट लेने की सलाह दी, जो इम्यून सिस्टम को ताकतवर बनाकर इस गंभीर संक्रमण से लड़ने में मदद कर सकते हो।
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