Childhood obesity causes heart disease: कोरोना महामारी के चलते लगाए प्रतिबंधों का बुरा असर बच्चों और युवाओं की सेहत पर ज्यादा देखने को मिल रहा है।
एक अनुमान के अनुसार, मोटापा (Obesity) ग्रस्त बच्चों और किशोरों का प्रतिशत महामारी पूर्व के 19 प्रतिशत से बढ़कर 22 प्रतिशत और बॉडी मास इंडेक्स (BMI) की दर दुगुनी हो गई है।
हाल ही में प्रकाशित जॉर्जिया यूनिवर्सिटी की एक नई रिसर्च ने इन समस्याओं से प्रभावित बच्चों के कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम के लिए एक बुरी खबर दी है।
उनके अध्ययन ने 600 से अधिक बच्चों, किशोरों और युवाओं में हानिकारक विसेरल फैट (Visceral fat) की मात्रा को अधिक पाया है। विसेरल फैट पेट में पाया जाने वाला ऐसा फैट है जो महत्वपूर्ण अंगों को नुकसान पहुंचाता है।
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इस फैट की मात्रा बढ़ने से आर्टरीज कठोर हो जाती है जिससे पूरे शरीर में रक्त प्रवाह कठिनाई से होता है।
शोधकर्ताओं को डर है कि पेट की चर्बी बढ़ने और आर्टरीज कठोर होने से बच्चों में हृदय संबंधी समस्याओं का विकास बचपन और किशोरावस्था में ही शुरू हो जाएगा।
अधिक वजन और मोटापे वाले बच्चों और युवाओं में नसों की कठोरता से हृदय रोग के अलावा डायबिटीज ग्रस्त हो जाना भी एक बड़ा खतरा है।
खोजकर्ताओं के मुताबिक, वयस्कता की अपेक्षा बचपन के दौरान हुई यह बीमारी मस्तिष्क, गुर्दे, हड्डियों, लिवर जैसे कई महत्वपूर्ण अंगों को खराब कर देती है।
पीडियाट्रिक ओबेसिटी में प्रकाशित अध्ययन ने बचने के लिए स्वास्थ्य खराब करने वाली आदतों की पहचान और रोकथाम को महत्वपूर्ण बताया है।
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