2021 Global Nutrition Report: दुनिया भर के इंसानों को उनके खान-पान से नुकसान हो रहा है और इसका खामियाजा पृथ्वी को भी भुगतना पड़ रहा है, ये कहना है 2021 की ग्लोबल न्यूट्रिशन रिपोर्ट का।
सभी देशों की डाइट और न्यूट्रिशन (Diet and nutrition) के हालात बयां करने वाली हालिया रिपोर्ट में, मोटापे (Obesity) और कुपोषण (Malnutrition) के खिलाफ लड़ी जाने वाली लड़ाई को COVID-19 महामारी से जबरदस्त झटका लगने की बात कही गई है।
नतीजन, दुनिया के 40 प्रतिशत से अधिक (लगभग दो अरब 20 करोड़) वयस्क मोटापे या अधिक वजन (Overweight) के शिकार बताए गए है।
इसके अलावा, पांच साल से कम उम्र के 14 करोड़ 90 लाख से अधिक बच्चे कुपोषण के कारण कमजोर और अविकसित रह गए है। इनमें से तीन करोड़ 89 लाख अधिक वजन वाले पाए गए है।
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रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि कुछ तरक्की के बावजूद, 2030 तक कुपोषण को समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध देश अपने लक्ष्य से बहुत दूर हो चुके है।
संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों से चूकने के अलावा डब्ल्यूएचओ के जन्म के समय कम वजन, एनीमिया, अविकसित और अधिक वजन वाले बच्चों जैसी समस्याओं से निपटने में भी लगभग सभी देश असफल रहे है।
रिपोर्ट से जुड़े एक्सपर्ट्स की मानें तो अभी भी हर तीन में से एक महिला कुपोषण से प्रभावित है और पांच में से एक बच्चा अपनी उम्र के हिसाब से बहुत छोटा है।
रिपोर्ट में, साल 2010 के बाद से खराब आहार के कारण होने वाली मौतों में 15 प्रतिशत की वृद्धि बताई गई है, जो कि इसी अवधि में प्रति वर्ष केवल एक प्रतिशत से अधिक जनसंख्या वृद्धि की तुलना में कही अधिक रही।
सर्वेक्षण में देखे गए 194 देशों में से केवल 105 ही बच्चों की अधिक वजन वाली समस्या से निपटने तथा एक चौथाई से अधिक स्टंटिंग और वेस्टिंग लक्ष्यों को पूरा करने में लगे हुए पाए गए है।
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रिपोर्ट में कहा गया है कि COVID-19 महामारी ने विश्व स्तर पर 15 करोड़ 50 लाख इंसानों को अत्यधिक गरीबी में धकेल दिया है। ऐसे में, अधिकांश गरीब देशों में कुपोषण बढ़ा है और पश्चिम के अमीर देशों की हालत भी बहुत बेहतर नहीं मिली है।
अफ्रीका में तो कोई भी देश डब्ल्यूएचओ के आहार-संबंधी गैर-संचारी रोगों, मोटापे, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और कम नमक सेवन का लक्ष्य पूरा नहीं कर पाया। कुछ उच्च आय वाले पश्चिमी देश ही बढ़े हुए ब्लड प्रेशर और डायबिटीज कम करने के लक्ष्यों को पूरा करने की राह पर है।
रिपोर्ट में पाया गया है कि फल और सब्जी का स्वस्थ माना गया सेवन अभी भी प्रतिदिन चार सर्विंग्स के तय स्तर से लगभग 50 प्रतिशत कम है, जबकि फलियां और अखरोट प्रत्येक की प्रतिदिन दो सर्विंग्स का सेवन दो-तिहाई से भी ज्यादा कम मिला है।
इसके विपरीत, लाल और प्रोसेस्ड मीट का सेवन बढ़ रहा है, जो प्रति सप्ताह एक सर्विंग के अधिकतम स्तर से लगभग पांच गुना अधिक है। यही नहीं, मिठास से भरे हानिकारक ड्रिंक्स की खपत भी अधिक हो रही है।
रिपोर्ट के अनुसार, COVID-19 के कारण सभी देशों की पोषण लक्ष्यों को पूरा करने के लिए आवश्यक अतिरिक्त धनराशि में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
ऐसे में, स्टंटिंग, वेस्टिंग, माताओं के एनीमिया और ब्रेस्टफीड के लिए साल 2022 और 2030 के बीच लगभग 1080 करोड़ डॉलर की अतिरिक्त धनराशि चाहिए होगी।
इस बारे में और जानकारी 2021 ग्लोबल न्यूट्रिशन रिपोर्ट से प्राप्त हो सकती है।