स्पेन के वैज्ञानिकों ने खुलासा किया है कि पाम ऑयल (Palm oil) यानि ताड़ का तेल मुंह और स्किन कैंसर (Cancer) कर सकता है।
उन्होंने तेल में पाए जाने वाले फैट, पामिटिक एसिड (Palmitic acid) से कैंसर के फैलने की संभावना बताई है।
रिपोर्ट के मुताबिक, खोज दल ने इस प्रक्रिया को बाधित करने वाला उपचार भी विकसित करना शुरू कर दिया है, जिसका अगले कुछ वर्षों में परीक्षण शुरू हो सकता है।
बता दें कि सस्ता होने के कारण पाम आयल हजारों रोज़मर्रा के उत्पादों में इस्तेमाल होता है।
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इस वनस्पति तेल का उपयोग केक, चॉकलेट, बिस्कुट, ब्रेड, मार्जरीन और तलने वाले फैट के अलावा कास्मेटिक, साबुन, शैंपू वगैरह में भी किया जाता है।
दरअसल फैट में मौजूद फैटी एसिड हमारे भोजन का विशेष हिस्सा है। लेकिन इनके द्वारा ही कैंसर मेटास्टेसिस (Metastasis) यानी शरीर के अन्य हिस्सों में फैलता है।
कैंसर से होने वाली सभी मौतों में से 90 फीसदी के लिए मेटास्टेसिस को ही जिम्मेदार माना जाता है।
हालांकि, अभी तक इसके काम करने का ढंग स्पष्ट नहीं है और क्या सभी फैटी एसिड मेटास्टेसिस में योगदान करते है, यह भी अज्ञात है।
स्पेन के आईआरबी बार्सिलोना के वैज्ञानिकों ने चूहों पर हुए अध्ययन में, ताड़ के तेल से मिलने वाले एक फैटी एसिड (पामिटिक एसिड) को मुंह के कैंसर और चूहों में मेलेनोमा त्वचा कैंसर को बढ़ावा देते पाया है।
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ऐसा जोखिम, ओलिव और फ्लेक्स सीड आयल के फैटी एसिडस में नहीं मिला।
वैज्ञानिकों ने पाया कि जब पामिटिक एसिड को चूहों के आहार में शामिल किया गया, तो इसने न केवल मेटास्टेसिस में योगदान दिया, बल्कि जीन पर भी दीर्घकालिक प्रभाव डाला। यह दुष्प्रभाव आहार में पामिटिक एसिड हटाने के बाद भी बना रहा।
नेचर जर्नल में प्रकाशित इस रिपोर्ट को आहार का कैंसर से संबंध बताने वाली एक महत्वपूर्ण खोज माना जा रहा है।