एक राष्ट्रीय स्तर के सर्वेक्षण में भारतीय पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को मोटापे (Obesity) से ग्रस्त पाया गया है।
देश के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा करवाए गए एक देशव्यापी सर्वेक्षण के नवीनतम नतीजे, भारतीयों में मोटापा वृद्धि के लिए शारीरिक गतिविधियों की कमी और अस्वस्थ भोजन खाने की आदतों को दोषी बताते है।
हाल ही में जारी हुए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (National Family Health Survey -NFHS) में, पुरुषों और महिलाओं के अलावा, पांच साल से कम उम्र के बच्चों को भी मोटापा से ग्रस्त बताया गया है।
सर्वेक्षण का दावा है कि 33 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में 2015 और 2016 के बीच हुए एनएफएचएस -4 (NFHS-4) के दौरान अधिक वजन वाले बच्चों की 2.1 प्रतिशत संख्या के मुकाबले, हाल ही के एनएफएचएस -5 (NFHS-5) में 3.4 प्रतिशत संख्या की वृद्धि हुई है।
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आंकड़ों से पता चलता है कि केवल गोवा, तमिलनाडु, दादरा और नगर हवेली तथा दमन और दीव ने पांच साल से कम उम्र के अधिक वजन वाले बच्चों की संख्या में गिरावट दर्ज की है।
यही नहीं, NFHS-5 में अधिक वजन वाली महिलाओं का प्रतिशत 20.6 से बढ़कर 24 और पुरुषों का प्रतिशत 18.9 से बढ़कर 22.9 तक देखा गया है।
सर्वेक्षण के अनुसार, 30 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने महिलाओं के मोटापे में वृद्धि दर्ज की, जबकि 33 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में पुरुषों के मोटापे को बढ़ा हुआ पाया गया है।
मोटापे की बढ़ती लहर महाराष्ट्र, गुजरात, मिजोरम, त्रिपुरा, लक्षद्वीप, जम्मू और कश्मीर, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश और लद्दाख सहित कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में देखी गई है।
सर्वेक्षण में पुरुषों और महिलाओं का मोटापा बॉडी मास इंडेक्स के आधार पर और बच्चों के मोटापे को वजन-ऊंचाई के संदर्भ में गिना गया।
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सर्वे से जुड़े स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने मोटापे में वृद्धि के लिए अस्वास्थ्यकर भोजन, बढ़ी हुई आय और बच्चों से लेकर वयस्कों तक में शारीरिक गतिविधि की कमी को जिम्मेदार ठहराया है।
मीठे या हानिकारक फैट से लदे उच्च कैलोरी वाले जंक फूड का बढ़ता सेवन और आहार में फाइबर, प्रोटीन, विटामिन और खनिज का कम होना मोटापे का प्रमुख कारण माना गया है।
इसके अलावा, अधिकांश भारतीय स्वस्थ और सक्रिय जीवन जीने के महत्व को नहीं समझते है। उनका अधिक समय बैठने या लेटने में बीतता है और किसी भी प्रकार की एक्सरसाइज करने के लिए उनमें प्रेरणा की कमी रहती है।
इस बारे में और जानकारी नेशनल फॅमिली हेल्थ सर्वे की वेबसाइट से मिल सकती है।
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