Lack of sleep effects: एक अध्ययन में खराब नींद से मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं के पैदा होने का खतरा बताया गया है।
ब्राजील विश्वविद्यालय में हुए एक नए शोध में, छात्रों विशेषकर महिलाओं को इससे ज्यादा दिक्कत होने की बात कही गई है।
शोध में विश्वविद्यालय के 1,000 से अधिक छात्रों की जांच की गई थी। पता चला कि अपर्याप्त नींद पीड़ितों में डिप्रेशन के लक्षण दिखने की संभावना भी लगभग चार गुना थी।
आधे से अधिक छात्रों के बीच दिन में अत्यधिक नींद आना एक प्रमुख समस्या थी। इससे उनमें डिप्रेशन या तनाव होने की संभावना लगभग दोगुनी थी। यह समस्या महिला छात्रों में अधिक पाई गई।
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विशेषज्ञों ने खराब नींद को छात्रों के ध्यान, अकादमिक प्रदर्शन, उपस्थिति दर और स्वास्थ्य को चौपट करने वाला पाया।
शोध के नतीजों में, अन्य बीमारियों के विकास के जोखिम को कम करने के लिए नींद की आदतों को सुधारने की सलाह दी गई है। इसके लिए सही समय पर सोना और औसतन सात घंटे की नींद को नौ घंटे के मुकाबले आदर्श माना गया है।
हालांकि, विशेषज्ञों को नींद की गड़बड़ी और डिप्रेशन के पीछे का तंत्र स्पष्ट नहीं हो पाया। इसे बेहतर ढंग से समझने के लिए उन्होंने और अधिक शोध की आवश्यकता कही है।
यह अध्ययन एनल्स ऑफ ह्यूमन बायोलॉजी जर्नल में प्रकाशित हुआ है।
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