कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज ले चुके लोग (Covid-19 fully vaccinated people) भी दोबारा संक्रमित होकर घरवालों को कोरोना कर सकते है, ऐसी संभावना एक नई स्टडी ने जताई है।
हालांकि, स्टडी में यह संक्रमण दर बिना वैक्सीन वालों के मुकाबले कम बताई गई है।
इम्पीरियल कॉलेज लंदन और यूके हेल्थ सिक्योरिटी एजेंसी के नेतृत्व में घरेलू संपर्कों के बीच COVID-19 फैलने की जांच वाली यह स्टडी कोरोना के डेल्टा वेरिएंट पर आधारित हैं।
स्टडी में, सितंबर 2020 और सितंबर 2021 के बीच कोरोना प्रभावित 621 इंसानों की जांच की गई है।
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द लैंसेट इंफेक्शियस डिजीज पत्रिका में प्रकाशित नतीजे बताते है कि वैक्सीन की दोनों खुराक लेने वाले घरों में डेल्टा वायरस से संक्रमित होने का जोखिम वैक्सीन नहीं लगवाने वालों की तुलना में कम रहा।
स्टडी के विशेषज्ञों ने वैक्सीन लगवाने से गंभीर बीमारी, अस्पताल में भर्ती होने और COVID-19 से मौत का खतरा कम बताया है।
उनके विश्लेषण में पाया गया है कि कोरोना से बचाव के टीके लगवा चुके लगभग 25 प्रतिशत घरों के सदस्य, टीके ने लगवाने वाले 38 प्रतिशत घरों के मुकाबले वायरस पॉजिटिव पाए गए।
यहां, ये देखना संतोषजनक रहा कि वैक्सीन लगवा चुके लोग डेल्टा वैरिएंट से संक्रमित होने पर तेजी से ठीक भी हो गए। ऐसा असर वैक्सीन न लगवांने वालों में देखने को नहीं मिला।
हालांकि, वैक्सीन सुरक्षित लोगों के नाक और गले में मिली SARS-CoV-2 वायरस की अधिकता, बिना वैक्सीन लगवाए लोगों जितनी ही थी। इससे साबित हुआ कि उनसे घरवालों में कोरोना का डेल्टा वैरिएंट फैल सकता था।
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टीका लगवाए लोगों से संक्रमण फैलना संभव देखने के बाद, विशेषज्ञों की सलाह है कि बिना टीकाकरण वालों और अब बूस्टर डोज (Booster dose) लेने योग्य लोगों के लिए गंभीर बीमारी और अस्पताल में भर्ती होने से बचाने के लिए वैक्सीन आवश्यक है।
स्टडी से यह भी पता चला है कि दूसरी वैक्सीन लगवाने के तीन महीने के भीतर ही वायरस के खिलाफ बनी इम्युनिटी कमजोर होने पर संक्रमण का जोखिम फिर से बढ़ जाता है।
इसलिए, विशेषज्ञों ने इस प्रमाण को ध्यान में रखते हुए कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज ले चुके इंसानों को अति शीघ्र बूस्टर शॉट लगाने की आवश्यकता बताई है।
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