महामारी के रूप में उभरते मोटापे (Obesity) पर वैज्ञानिकों ने चिंता जाहिर की है और इसे डायबिटीज, फैटी लीवर और हृदय रोग जैसी गंभीर बीमारियां करने वाली समस्या बताया है।
अमेरिका और ग्रीस की स्वास्थ्य संस्थाओं के विशेषज्ञों ने मनुष्य की आयु और जीवन की गुणवत्ता को काफी कम कर देने वाली इन बीमारियों का मोटापा से विकसित होना रहस्यमय बताया है।
हालांकि, विज्ञान ने अब मोटापे के अनुवांशिक और हार्मोनल कारणों को समझना शुरू किया है, जिसके कारण प्रभावी उपचार तैयार किए गए है।
एंडोक्राइन सोसाइटी की पत्रिका एंडोक्राइन रिव्यू में प्रकाशित एक लेख के अनुसार, मोटापे में प्रभावी नए उपचार जैसे कि आंत माइक्रोबायोम में बदलाव और जीन थेरेपी का अभी कम उपयोग किया जाता है, लेकिन इस महामारी से लड़ने में ये मददगार है।
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बावजूद इसके, डॉक्टर अभी भी वजन घटाने वाली दवाएं मरीजों को दे रहे है। कई रोगियों को तो सही उपचार भी नहीं मिल रहा है।
मोटापे से ग्रस्त लोग भी तब तक इलाज से बचते है जब तक गंभीर बीमारियां बढ़कर खतरनाक स्तर तक नहीं पहुंच जाती है। स्वास्थ्य बीमा की कमी और ज्यादा लागत के कारण भी मोटापे का इलाज नहीं हो पाता।
वैज्ञानिकों का कहना है कि मेडिकल जगत में गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल हार्मोन (Gastrointestinal hormone) और अन्य अणुओं के संयोजन से बनी नई दवाओं का परीक्षण किया जा रहा है।
उम्मीद है कि जैसे-जैसे मोटापे के बारे में हमारी समझ में सुधार होगा, वैसे-वैसे मोटापा घटाने के लिए कम दुष्प्रभावों वाली अधिक प्रभावी दवाएं विकसित होंगी।
हाल ही में, एक संशोधित गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल हार्मोन वाली सेमाग्लूटाइड (Semaglutide) जैसी दवाएं, जिसे सप्ताह में एक बार लिया जाता है, जीवनशैली में बदलाव के साथ 15 प्रतिशत तक वजन घटा सकती है। बैरिएट्रिक सर्जरी से 40 प्रतिशत तक वजन कम हो सकता है, लेकिन इस उपचार में बहुत जटिलताएं है।
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विशेषज्ञों के अनुसार, दुनिया को अगर इस उभरती महामारी से बचाना है तो नई दवाओं, टीके, आंत माइक्रोबायोम बदलाव और जीन थेरेपी जैसे सुरक्षित और अधिक प्रभावी उपचार अपनाने होंगे।