ब्लड शुगर (Blood sugar) मापने के लिए डायबिटीज (Diabetes) वालों को अब तकलीफदायक सुई की आवश्यकता नहीं होगी।
एक वियरेबल डिवाइस (Wearable device) की मदद से यह काम सुविधापूर्वक हो सकता है, ये कहना है अमेरिकी वैज्ञानिकों का।
पेन्सिलवेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी की एक वैज्ञानिक टीम ने कम लागत वाला ऐसा ग्लूकोज सेंसर (Glucose sensor) विकसित किया है, जो मात्र पसीने से ही ग्लूकोज का उतार-चढ़ाव बता सकता है।
इसके लिए उन्होंने पहले लेजर युक्त कार्बन एटम से बने ग्रैफेन (Laser-induced graphene -LIG) संग एक डिवाइस का निर्माण किया। लेकिन यह सेंसिंग डिवाइस ग्लूकोज को मापने में अनुकूल नहीं पाया गया।
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इसलिए, टीम ने ग्लूकोज संवेदनशीलता में अनुकूल, निकेल (Nikel) धातु को चुना और त्वचा एलर्जी के जोखिमों को कम करने के लिए इसे सोने (Gold) के साथ जोड़ दिया।
निकल-गोल्ड मिश्र धातु की अनुकूलता ने टीम को पसीने से एंजाइमों को बाहर निकालने में समर्थ बनाया, ताकि ग्लूकोज को सही से मापा जा सके।
हालांकि, गैर-एंजाइमेटिक सेंसर त्वचा को नुकसान पहुंचा सकते है और आमतौर पर डिवाइस की पहनने की क्षमता को सीमित करते है।
ऐसे में, टीम ने डिवाइस में एक माइक्रोफ्लुइडिक चैंबर भी जोड़ा। इससे पसीना डिवाइस में मौजूद एक रासायनिक मिश्रण से होकर गुजरता है और यह रासायनिक मिश्रण त्वचा को छूता भी नहीं।
रासायनिक मिश्रण पसीने में ग्लूकोज की जांच करता है और एक इलेक्ट्रिकल सिग्नल द्वारा इसकी मात्रा बताता है।
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अपने परीक्षण में, वैज्ञानिकों ने भोजन के एक घंटे पहले और फिर तीन घंटे बाद एक इंसान की बांह से जोड़कर पसीने से मिलने वाले ग्लूकोज के उतार-चढ़ाव की जांच की।
उन्होंने इससे मिलने वाले नतीजों की सटीकता को ग्लूकोज मॉनिटर के साथ सत्यापित भी किया।
बायोसेंसर और बायोइलेक्ट्रॉनिक्स पत्रिका में प्रकाशित जानकारी के अनुसार, टीम अब चिकित्सकों और हेल्थकेयर कंपनियों संग मिलकर मरीजों की देखभाल में अपने इस डिवाइस को आजमाना चाहती है।