Omega-3 fatty acid effect on heart: मछली के तेल (Fish oil) से मिलने वाला ओमेगा-3 फैटी एसिड दिल की अनियमित धड़कन का कारण बन सकता है, यह कहना है एक वैज्ञानिक विश्लेषण का।
लॉस एंजिल्स स्थित एक प्रसिद्ध अस्पताल और स्वास्थ्य विज्ञान केंद्र द्वारा किए गए इस विश्लेषण में कई अध्ययनों की परस्पर तुलना की गई है।
तुलनात्मक विश्लेषण में 80 हजार से ज्यादा मरीजों के हेल्थ रिकॉर्ड को जांचा गया।
पता चला कि मछली के तेल से बने सप्लीमेंट्स द्वारा प्राप्त ओमेगा-3 फैटी एसिड की रोजाना एक ग्राम से अधिक मात्रा लेने वाले मरीजों में एट्रियल फाइब्रिलेशन (Atrial Fibrillation) यानी अनियमित धड़कन होने का खतरा 49 फीसद तक बढ़ गया था।
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जबकि प्रतिदिन एक ग्राम या उससे कम के सप्लीमेंट्स लेने वाले मरीजों में यह खतरा केवल 12 फीसद ही था।
एट्रियल फाइब्रिलेशन की स्थिति में दिल की धड़कन असामान्य हो जाती है। इससे रक्त के थक्के, स्ट्रोक, हार्ट फेलियर और अन्य हृदय संबंधी जटिलताएं हो सकती है।
इसका जोखिम उम्र के साथ बढ़ता है जो महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में अधिक आम है।
उम्र और लिंग के अलावा, अतिरिक्त जोखिम बढ़ाने वाले कारकों में हाई ब्लड प्रेशर, कोरोनरी धमनी रोग, हार्ट फेलियर, हार्ट वाल्व दोष, मोटापा और डायबिटीज भी शामिल है। यहां तक कि मैराथन दौड़ने वालों को भी यह समस्या हो सकती है।
भले ही ओमेगा -3 फैटी एसिड खून में कोलेस्ट्रॉल के स्तर और गठिया के दर्द को काफी हद तक कम कर सकता है, फिर भी ज्यादातर विशेषज्ञ मानते है कि सप्ताह में कई बार मछली खाने से मिलने वाला ओमेगा-3 फैटी एसिड ही दिल के लिए बेहतर है।
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अस्पताल के विशेषज्ञों की भी सलाह थी कि प्रतिदिन एक ग्राम से अधिक मछली के तेल वाला सप्लीमेंट्स केवल डॉक्टरों से विचार-विमर्श के बाद ही लेना चाहिए।
इस विषय में और जानकरी सर्कुलेशन पत्रिका में छपे लेख से मिल सकती है।
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