स्ट्रोक (Stroke) से बचने के लिए डायबिटीज वालों को ब्लड शुगर (Blood sugar) पर कंट्रोल रखना जरूरी होता है।
एक नए अध्ययन ने तो स्ट्रोक झेल चुके डायबिटीज वालों की सुविधा के लिए, दूसरे स्ट्रोक या दिल के दौरे को कम करने वाली एक आदर्श ब्लड शुगर सीमा भी बता दी है।
यह शोध अमेरिकन एकेडमी ऑफ न्यूरोलॉजी के मेडिकल जर्नल, न्यूरोलॉजी® के ऑनलाइन अंक में प्रकाशित हुआ है।
अध्ययन में 70 वर्ष की औसत आयु के 18 हजार से ज्यादा डायबिटीज पीड़ित शामिल थे। सभी को इस्केमिक स्ट्रोक के चलते अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
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उनके औसत ब्लड शुगर स्तर को निर्धारित करने के लिए हीमोग्लोबिन A1C (HbA1c) नामक एक परीक्षण का उपयोग किया गया।
HbA1c परीक्षण एक साधारण रक्त परीक्षण है जो पिछले तीन महीनों के औसत ब्लड शुगर स्तर को मापता है। इसमें 5.7 प्रतिशत से नीचे का स्तर सामान्य माना जाता है और 6.5 या इससे अधिक का प्रतिशत सामान्यतः डायबिटीज का संकेत देता है।
अध्ययन में शामिल मरीजों का औसत HbA1c ही 7.5 प्रतिशत था।
शोधकर्ताओं ने उनकी एक साल बाद यह पता लगाने के लिए जांच की कि क्या HbA1c स्तरों का दूसरे स्ट्रोक, दिल का दौरा या अन्य दिल-संबंधी कारणों से मौत होने का कोई ताल्लुक था।
अध्ययन शुरू करने के एक साल के भीतर सभी मरीजों में से 1,437 को दिल का दौरा पड़ा या अन्य दिल-संबंधी रोगों से मृत्यु हो गई। वहीँ, 954 को एक और स्ट्रोक झेलना पड़ा।
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पाया गया कि अस्पताल में भर्ती होते समय 6.8 से 7 प्रतिशत की सीमा से ऊपर HbA1c स्तर वालों को दिल का दौरा पड़ने के साथ-साथ एक और स्ट्रोक होने का खतरा बढ़ गया था।
अस्पताल में भर्ती हुए 7 प्रतिशत से ऊपर HbA1c स्तर वालों को दिल का दौरा पड़ने या इसी तरह के रोगों का जोखिम 27 प्रतिशत अधिक था। लेकिन 6.5 प्रतिशत से नीचे HbA1c स्तर वालों में ऐसा जोखिम उनकी अपेक्षा कम था।
यहीं नहीं, 6.5 प्रतिशत वालों के मुकाबले 7 प्रतिशत से ऊपर HbA1c स्तर वालों को एक और स्ट्रोक होने का जोखिम भी 28 प्रतिशत अधिक था।
निष्कर्ष बताते है कि यदि कोई डायबिटीज से पीड़ित है और एक स्ट्रोक पड़ चुका है तो उसे अपने ब्लड शुगर स्तर पर कड़ी नज़र रखनी चाहिए।
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