Health benefits of eating whole grains: फ़ास्ट फूड खाने का बढ़ता फैशन बच्चों से लेकर बड़ों तक के लिए खतरनाक है, ऐसा कई बार बताया गया है।
अब एक और स्टडी में फ़ास्ट फ़ूड बनाने में इस्तेमाल होने वाले रिफाइंड अनाज और फाइबर युक्त साबुत अनाज का सेहत पर असर जाना गया है।
स्टडी करने वाले बोस्टन की टफ्ट्स यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने दोनों तरह के अनाज खाने की तुलना की और सेहत से जुड़े लक्षणों पर इनका असर देखा।
द जर्नल ऑफ न्यूट्रिशन में प्रकाशित स्टडी में, रिफाइंड अनाज की तुलना में साबुत अनाज का अधिक सेवन कमर के आकार, ब्लड प्रेशर और शुगर के स्तर में कम वृद्धि के साथ जुड़ा हुआ मिला।
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नतीजों के लिए, बड़ी उम्र के लगभग तीन हजार से अधिक पुरुषों और महिलाओं की हर चार साल के अंतराल में 18 साल तक जांच की गई थी।
रिसर्चर्स ने देखा कि समय बीतने पर रिफाइंड अनाज से बने फ़ास्ट फ़ूड की ज्यादा मात्रा खाने वालों की कमर का घेरा, खराब कोलेस्ट्रॉल, खून में दौड़ने वाला ग्लूकोज और बीपी का लेवल चिंताजनक होता गया।
उनके खाने में सफेद ब्रेड, पास्ता, बिस्किट्स, इंग्लिश मफिंस, सफेद चावल, पिज्जा, पेनकेक की सर्विंग्स ज्यादा थी।
हालांकि, साबुत अनाज सहित फ़ास्ट फ़ूड थोड़ा या नहीं बराबर खाने वालों की सेहत पर ऐसे बुरे असर का स्तर कम था।
हैरानी की बात थी कि साबुत अनाज जैसे, चोकर मिला आटा, ब्राउन राइस, ओट्स, बाजरा आदि खाने वाली महिलाओं की कमर का आकार और पेट की चर्बी पुरुषों की तुलना में कम बढ़ी।
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साबुत अनाज के अधिक सेवन से एचडीएल कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना और ट्राइग्लिसराइड में गिरावट आना, कमर के घेरे के मुकाबले इतना संतोषजनक नहीं था।
कुल मिलाकर, स्टडी के निष्कर्ष रिफाइंड अनाज से बने खाद्य पदार्थों को साबुत अनाज के साथ बदलने का सुझाव देते है ताकि पेट की चर्बी, हाई बीपी और बढ़ी हुई शुगर को घटाया जा सके।
ऐसा करने से दिल और नसों की बीमारियों के जोखिम को कम किया जा सकता है।
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