डर के आगे जीत है, ये पंक्तियां आपने भी जरूर सुनी होंगी। लेकिन अब वैज्ञानिकों ने डर पैदा करने वाली चिंता (Anxiety) की जगह और कारण खोज लिए है।
जीत हासिल करने के लिए अक्सर हमें किसी न किसी तकलीफ को सहना पड़ता है, अन्यथा बदले में मिलने वाला इनाम हमसे दूर हो जाता है।
इस इनाम को खोने की चिंता ही दिमाग को कठिनाई झेलने के लिए प्रेरित करती है, यह कहना है क्योटो यूनिवर्सिटी के न्यूरोसाइंटिस्ट्स का।
उनके अनुसार, इंसानी दिमाग निर्णय लेने में इसी तरह भावनाओं को शामिल करता है।
- Advertisement -
इस विषय पर वैज्ञानिकों की टीम ने जर्नल फ्रंटियर्स इन न्यूरोसाइंस पत्रिका में एक समीक्षा भी प्रकाशित की है।
यह समीक्षा जानवरों के मस्तिष्क में निर्णय लेने की क्षमता से मिले परिणामों को मानव मस्तिष्क से जोड़ती है।
अपनी खोज में न्यूरोसाइंटिस्ट्स का मानना है कि हमारे निर्णय लेने की क्षमता पर चिंता के प्रभाव हावी रहते है।
बंदरों के अध्ययन में उन्होंने दिमाग के प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स (Frontal Cortex) से संबंधित एक हिस्से ACC (Anterior Cingulate Cortex) में भावनाओं और समझदारी से जुड़े न्यूरॉन्स को निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला पाया।
बंदरों के दिमाग में स्थित इस हिस्से की जांच करते समय इन न्यूरॉन्स को इनाम या सजा के आकार अनुरूप सक्रिय या निष्क्रिय होते देखा गया।
- Advertisement -
इसी क्षेत्र को पहले भी मनुष्यों में डिप्रेशन और चिंता से जुड़े विकारों में सक्रिय पाया गया था।’
न्यूरोसाइंटिस्ट्स को उम्मीद है कि दिमाग के इस हिस्से में चिंता और निराशा की भावनाओं के उत्पन्न होने को एक चिंता-विरोधी दवा देकर ठीक किया जा सकता है।
इसी हिस्से से जुड़े कई और क्षेत्र भी चिंता, तनाव, समझने और सीखने की प्रक्रिया से संबंधित थे।
वैज्ञानिकों को आशा हैं कि यह अध्ययन मनुष्यों में मस्तिष्क संबंधी और मानसिक विकारों से जुड़े रास्तों के रहस्य से पर्दा उठाकर विशिष्ट उपचार विकसित करने में उपयोगी होगा।