COVID-19 vaccines wane with time: मास्क न पहनने और समय बीतने पर वैक्सीन लगवा चुके लोग भी कोरोना संक्रमित हो सकते है, ये कहना है अमेरिका के हेल्थ एक्सपर्ट्स का।
द न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन में छपे एक लेख में कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय-सैन डिएगो के चिकित्सकों और सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों की एक टीम ने हेल्थकेयर वर्कर्स में COVID-19 mRNA टीकों की प्रभावशीलता मापने के बाद यह जानकारी दी है। ,
लेख से पता चला है कि वायरस के नए वेरिएंट्स को रोकने में वैक्सीन के प्रभाव धीरे-धीरे हल्के होने शुरू हो जाते है। ऐसे में मास्क पहनने की अनिवार्यता बनी रहनी चाहिए।
टीम की रिपोर्ट है कि शुरुआती दौर में आपातकालीन उपयोग की मंजूरी मिले फाइजर और मॉडर्न एमआरएनए COVID-19 टीकों की प्रभावशीलता समय के साथ काफी कम होती देखी गई है।
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मार्च से जून 2021 तक वायरस संक्रमण के खिलाफ टीकों की प्रभावशीलता 90 फीसदी से अधिक होने का अनुमान लगाया गया था; लेकिन जुलाई आते-आते असर लगभग 65 फीसदी कम दर्ज किया गया।
डेल्टा वेरिएंट की हल्की रोगसूचक बीमारी पर भी वैक्सीन प्रभावशीलता काफी कम मिली जो टीकाकरण पूरा करने के छह से आठ महीने बाद ही हल्की पड़ चुकी थी।
हालांकि, टीम ने अस्पताल में भर्ती और मृत्यु होने जैसे गंभीर संक्रमण परिणामों से सुरक्षा प्रदान करने में वैक्सीन को अभी भी असरकारक पाया।
लेख में डेल्टा वेरिएंट से ग्रस्त माता-पिता को अक्सर उनके 5 से 11 वर्ष के छोटे बच्चों से संक्रमित होना बताया गया है। लेकिन पूरी वैक्सीन डोज लगवा चुके लोगों की तुलना में बिना वैक्सीन वालों के संक्रमित होने की संभावना सात गुना अधिक दर्ज की गई।
संक्रमण होने पर बच्चों की अपेक्षा बिना वैक्सीन वाले वयस्कों को अस्पताल में भर्ती होने का खतरा 32 गुना अधिक देखा गया।
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ऐसे में कोरोना प्रतिबंधों जैसे हाथ धोना, सोशल सोशल डिस्टेंसिंग और सबसे खास – मास्क पहनकर रखने की सुरक्षा निरंतर याद दिलाना जरूरी बताया गया।
खोजकर्ताओं ने टीकों की प्रभावशीलता को समय बीतने के साथ जुड़ा हुआ बताया है।
लेख में बताया गया है कि जुलाई में संक्रमित मिले हेल्थकेयर वर्कर्स में, मार्च से मई तक वैक्सीन लगवाने वालों की अपेक्षा जनवरी-फरवरी तक दोनों डोज लगवाने वालों में संक्रमण दर अधिक थी।
किसी भी टीकाकरण समूह की तुलना में असंक्रमित व्यक्तियों में संक्रमण दर लगातार अधिक देखी गई, हालांकि समय के साथ दोनों समूहों के बीच में अंतर कम होता पाया गया /
ऐसा डेल्टा वेरिएंट मिलने और समय के साथ टीकों से उत्पन्न इम्युनिटी कमजोर होने के अलावा मास्क उतार देने तथा ज्यादा लोगों के सम्पर्क में आने के जोखिम से जुड़ा हुआ मिला।
निष्कर्ष तेजी से पूर्व निर्धारित सुरक्षाओं को फिर से बहाल करने के साथ ही टीकाकरण दरों को बढ़ावा देने और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बूस्टर डोज लगाने की आवश्यकता बताते है।
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