वैज्ञानिकों के एक समूह ने चेतावनी दी है कि इंसानों को अगले 59 वर्षों के भीतर COVID-19 जैसी ही महामारियों का प्रकोप झेलना पड़ सकता है।
उन्होंने अगले 12,000 वर्षों के भीतर मानव जाति को नष्ट करने में सक्षम एक महामारी (Pandemic) की संभावना भी बताई है।
विश्लेषण करने वाले इटली और अमेरिका के वैज्ञानिकों ने नए सांख्यिकीय तरीकों का इस्तेमाल करके पिछले 400 वर्षों में प्लेग, चेचक, हैजा, टाइफस, और नए इन्फ्लूएंजा वायरसों जैसे रोगजनक विषाणुओं से फैलने वाली बीमारियों की गणना की है।
इसका उद्देश्य उन घटनाओं की तीव्रता और उनके दोबारा घटने की वार्षिक संभावना का अनुमान लगाना है।
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निष्कर्षों से पता चला कि आधुनिक इतिहास में दर्ज स्पेनिश फ्लू जैसी सबसे घातक महामारी के समान ही एक महामारी की संभावना अध्ययन की अवधि के दौरान प्रति वर्ष दोगुने तक हो सकती है।
आपको बता दें कि स्पेनिश फ्लू जैसी महामारी से साल 1918 और 1920 के बीच 3 करोड़ से अधिक लोगों की मौत हुई थी।
रिसर्च में शामिल आंकड़ों की मानें तो सांख्यिकीय रूप से अगले 400 वर्षों के भीतर इस तरह के चरम पैमाने की महामारी के आने की संभावना है।
हालांकि, वैज्ञानिकों को पिछली बीमारियों के फैलने से जुड़े आंकड़ों के आकलन से पता चला कि तीव्र प्रकोप का खतरा अनुमान से परे कही तेजी से बढ़ रहा है।
पिछले 50 वर्षों में मानव आबादी में SARS-CoV-2 जैसे नए विषाणुओं की बढ़ती दर के आधार पर उनका अनुमान है कि नए रोग के प्रकोप की संभावना अगले कुछ दशकों में तीन गुना तक बढ़ने की संभावना है।
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इस बढ़े हुए जोखिम कारक का उपयोग करते हुए ही वैज्ञानिकों ने COVID-19 स्तर की एक महामारी के 59 वर्षों की अवधि के भीतर होने की संभावना भी जताई है।
प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज में छपी रिसर्च में, बीमारियों के लगातार बढ़ते प्रकोप के पीछे जनसंख्या वृद्धि, फूड सिस्टम में परिवर्तन, खराब पर्यावरण तथा मनुष्यों और बीमार जानवरों के बीच बढ़ते संपर्क के होने का अंदेशा बताया गया है।
ऐसे में वैज्ञानिक विनाशकारी महामारियों को लाने वाली वजहों की गहन खोज करना चाहते है, ताकि समय रहते उनका मुकाबला करने में मानव जाति को समर्थ बनाया जा सके।