Hydration and heart failure: शरीर में पानी की कमी न रहने देने से हृदय गति रुकने का खतरा कम हो सकता है, ऐसा एक रिसर्च ने बताया है।
यूरोपियन सोसाइटी ऑफ कार्डियोलॉजी के सालाना सम्मेलन में प्रस्तुत नई रिसर्च के मुताबिक, पर्याप्त पानी पीने से हार्ट फेलियर करने वाले परिवर्तनों को रोका या धीमा किया जा सकता है।
बता दें कि पूरे दिन में महिलाओं के लिए डेढ़ से दो लीटर और पुरुषों के लिए दो से तीन लीटर तक पानी पीना जरूरी बताया गया है। लेकिन, विश्वव्यापी सर्वेक्षणों से पता चला है कि पानी पीने के मामले में लोग बहुत लापरवाह होते है।
कम पानी के कारण शरीर में सीरम सोडियम (खून में नमक का सामान्य स्तर) की अधिकता बढ़ जाती है। ऐसे में शरीर पानी रोकने का प्रयास करता है, जिससे हार्ट फेलियर का खतरा बढ़ाने वाली प्रक्रियाएं तेज हो जाती है।
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रिसर्च में वैज्ञानिकों ने शरीर में पानी के सही स्तर और दिल के बाएं वेंट्रिकल की दीवारों के घनी होने के बीच संबंध की जांच की, जो हार्ट फेलियर की संभावना का संकेत देता है।
विश्लेषण 44 से 66 वर्ष के 15 हजार से अधिक वयस्कों का किया गया था, जो उनकी 70 से 90 वर्ष की आयु तक चला।
वैज्ञानिकों ने पाया कि मध्य जीवन में सोडियम गहनता में प्रत्येक 1 एमएमओएल/ लीटर की वृद्धि, 25 साल बाद बाएं वेंट्रिकुलर के आकार और हार्ट फेलियर के विकास की बाधाओं में क्रमशः 1.20 और 1.11 से जुड़ी हुई थी।
70 से 90 साल की उम्र में सोडियम स्तर 142 mmol / l से अधिक होने पर बाएं वेंट्रिकुलर का आकार और हार्ट फेलियर दोनों के जोखिम बढ़ने लगे थे।
परिणाम बताते हैं कि जीवन भर शरीर में पानी के उचित स्तर को बनाए रखने से हार्ट फेलियर के जोखिम को कम किया जा सकता है।
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इसके अलावा, 142mmol/l से अधिक सीरम सोडियम दिल पर प्रतिकूल प्रभावों के जोखिम को बढ़ाता है। ऐसे में पानी के स्तर का आकलन करने से हार्ट फेलियर के खतरे वाले इंसानों की पहचान हो सकती है।
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