फ्रुक्टोज (Fructose) यानी फलों के रस से बनने वाली चीनी पाचन तंत्र की कोशिकाओं में ऐसे बदलाव करती है, जिससे मोटापे और कुछ कैंसर बढ़ जाते है।
अमेरिका में वैज्ञानिकों की एक टीम द्वारा किए गए इस अध्ययन से, दुनिया भर में फ्रुक्टोज की बढ़ती खपत का मोटापे (Obesity) तथा कुछ कैंसरों (Cancer) के विकास से संबंध जाना गया है।
नेचर पत्रिका में प्रकाशित उनका यह अध्ययन, छोटी आंत (Small Intestine) पर अधिक फ्रुक्टोज सेवन का दुष्प्रभाव बताता है।
अध्ययन में पाया गया कि उच्च फ्रुक्टोज युक्त आहार दिए गए चूहों की छोटी आंत में, फ्रुक्टोज न खाने वाले चूहों की तुलना में अधिक बदलाव हुए।
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ज्यादा फ्रुक्टोज खाने वाले चूहों में भोजन पचाने वाली आंत की अंदरूनी सरंचना 25 से 40 प्रतिशत तक लंबी पाई गई। इससे ज्यादा पोषक तत्वों को सोखने, वजन बढ़ने और चर्बी जमा होने की संभावना थी।
वैज्ञानिकों के अनुसार, फ्रुक्टोज में पाया जाने वाला फ्रुक्टोज-1-फॉस्फेट नामक मेटाबोलाइट इस विस्तार को बढ़ावा देता है और आंतों में ट्यूमर करता है।
अपने पिछले अध्ययन में इन्हीं वैज्ञानिकों ने बताया था कि कैंसर का विस्तार करने वाले फ्रुक्टोज के इस तत्व को बाधित करके आंत कैंसर रोका जा सकता है।
अध्ययन में उन्होंने देखा कि अतिरिक्त फ्रुक्टोज युक्त ज्यादा चिकनाई वाले भोजन से चूहे में आंत की अंदरूनी सरंचना लंबे समय तक प्रभावित रही।
इसके चलते, बिना फ्रुक्टोज के ज्यादा चिकनाई युक्त भोजन खाने वाले चूहों की अपेक्षा ज्यादा फ्रुक्टोज खाने वाले चूहें अधिक मोटे हो गए।
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फ्रुक्टोज चीनी को रेडीमेड जूस, सॉस, सिरप, घरेलू चीनी, कोल्ड ड्रिंक्स, बिस्कुट, केक आदि खाद्य वस्तुओं में ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है।
वैज्ञानिकों में मुताबिक, इंसानी शरीर फ्रुक्टोज की अधिक मात्रा को पचा नहीं सकता और इसे बीमारियों के विकास में इस्तेमाल करने लगता है।
उन्होंने उम्मीद जताई है कि भविष्य में ऐसे उपाय मिल सकते है जो आंत के अंदर की सरंचना को सिकोड़ने, चिकनाई के अवशोषण को कम करने और ट्यूमर के विकास को धीमा करने में मदद कर सकें।
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