तनाव के दुष्प्रभाव से हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली यानी इम्यून सिस्टम (immune system) हमारे ही शरीर के खिलाफ काम करने लगती है. इसे ऑटोइम्यून डिसऑर्डर-एआईडी (autoimmune disorder – AID) अवस्था भी कहते हैं जिसमें शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली स्वस्थ कोशिकाओं पर हमला करने लगती है और रोगों का कारण बन जाती है. तनाव के साथ साथ अस्वास्थ्यकर भोजन (unhealthy food) भी इसका मुख्य कारण हैं.
विज्ञान पत्रिका जेसीआई इनसाइट (JCI Insight) में प्रकाशित चूहों पर किए गए एक शोध में पता चला है कि वीजीएलएल-3 नामक एक अत्यधिक आणविक स्विच, जो त्वचा कोशिकाओं में प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया जीन को नियंत्रित करता है, ऑटोइम्यून बीमारियों का कारण बनता है. इस अध्ययन के अनुसार, वीजीएलएल-3 की भूमिका महत्वपूर्ण होती है.
ऑटोइम्यून विकार अकसर कई अन्य स्वास्थ्य स्थितियों की नकल करते हैं और इसलिए इनके लिए सटीक निदान खोजना कठिन होता है. डॉक्टरों ने बताया कि इनमें से कुछ में नई एलर्जी, रसायनों, खाद्य पदार्थों या गंध के प्रति संवेदनशीलता में वृद्धि, ऊर्जा की कमी, ब्रेन फॉग, और यहां तक कि चिंता और अवसाद शामिल हैं.
तीन साल पहले, यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन के शोधकर्ताओं की एक टीम ने दिखाया कि पुरुषों की तुलना में महिलाओं की त्वचा की कोशिकाओं में वीजीएलएल-3 अधिक होता है. कुछ लोग दूसरों की तुलना में एआईडी के लिए अधिक संवेदनशील होते हैं. महिलाओं में यह बच्चे के जन्म के वर्षों के दौरान हो सकता है. कुछ अन्य कारकों में उम्र, कुछ बैक्टीरिया या वायरल संक्रमण और आहार व रसायनों के पर्यावरणीय विषाक्त पदार्थों के संपर्क में आना प्रमुख है.
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एआईडी के कुछ उदाहरणों में मल्टिप्लेस्क्लेरोसिस, टाइप-1 डायबिटीज, रियूमेटाइड आर्थराइटिस और क्रोनिक थायरॉयडिटिस शामिल हैं. एआईडी के आठ करोड़ से अधिक प्रकार हैं और दुनिया भर में लगभग दस करोड़ लोगों को ये प्रभावित करते हैं. प्रत्येक एआईडी में अलग-अलग लक्षण होते हैं, इसलिए इनके उपचार भी अलग-अलग हो सकते हैं.
कैसे करें रोकथाम
एआईडी की रोकथाम में खानपान के तरीकों की प्रमुख भूमिका है. बाजार में मिलने वाला प्रोसेस्ड फूड ना केवल सूजन पैदा कर सकता है, बल्कि इम्यून प्रतिक्रिया पर भी असर डालता है. स्वस्थ और संतुलित आहार पेट के स्वास्थ्य और एक मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए चमत्कार कर सकता है. विटामिन ए और डी, सेलेनियम, जिंक, ओमेगा-3 फैटी एसिड, प्रो-बायोटिक्स, ग्लूटामाइन और फ्लैवोनोल जैसे आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर आहार से ऑटोइम्यून रोगों से बचाव हो सकती है.
दिन में कम से कम 30 मिनट की शारीरिक गतिविधि भी आवश्यक है, जो शरीर के प्राकृतिक सूजनरोधी तंत्र को मजबूत करने में मदद करती है. तनाव सूजन का प्रमुख कारक है, और इसलिए, योग और ध्यान के रूप में विश्राम तकनीक का अभ्यास करना एक अच्छा विचार है.