Sitting risks: ज्यादा समय तक बैठना मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है और नियमित एक्सरसाइज (Exercise) से होने वाले फायदों को भी कमजोर करता है।
इंग्लैंड की हडर्सफ़ील्ड यूनिवर्सिटी का यह अध्ययन, COVID-19 महामारी के दौरान बैठे रहने से मानसिक स्वास्थ्य और फिजिकल एक्टिविटी (Physical activity) के प्रभावों का आकलन करता है।
अध्ययन के शोधकर्ताओं का कहना है कि कोरोना महामारी से उबरने के बाद बैठने के समय को कम करना पब्लिक हेल्थ पॉलिसी का एक हिस्सा होना चाहिए।
अध्ययन में पाया गया कि महामारी के दौरान अधिकतर इंसानों ने दिन में आठ घंटे या अधिक समय बैठकर बिताए। घर से ऑफिस वर्क करने या छुट्टियों में निष्क्रिय रहने के कारण उनके मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान हुआ।
- Advertisement -
यहां तक कि एक्टिव रहने वालों को भी महामारी में एक्सरसाइज न कर पाने की वजह से मानसिक समस्याएं हुई।
विशेषज्ञों ने निष्क्रिय जीवनशैली को संतुलित करने के लिए उपाय के तौर पर और भी अधिक एक्सरसाइज की आवश्यकता बताई है।
स्पोर्ट साइंस फॉर हेल्थ जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के नतीजे लगभग 300 स्वस्थ लोगों की जांच के बाद सामने आए है।
ये सभी लोग काफी समय तक बैठे रहते थे और 50 फ़ीसदी से अधिक तो दिन में आठ घंटे से भी ज्यादा बैठते थे।
विशेषज्ञों ने जांच में पाया कि बैठने के समय और कुछ पूर्व-मौजूदा स्वास्थ्य स्थितियों ने उनके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर डाला।
- Advertisement -
अन्य अध्ययनों ने भी आठ घंटे से अधिक समय तक बैठने से उत्पन्न नकारात्मक प्रभावों की भरपाई के लिए अधिक समय तक एक्सरसाइज करने की आवश्यकता बताई है।
बैठने का समय कम करने से मानसिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसलिए विशेषज्ञों ने बेहतर पब्लिक हेल्थ के लिए फिजिकल एक्टिविटी में वृद्धि के साथ- साथ बैठने के समय को कम करने का सुझाव दिया है।
हालांकि, लोगों को यह समझना चाहिए कि फिजिकल एक्टिविटी का मतलब सिर्फ जिम जाना ही नहीं है। पार्क और हरे-भरे क्षेत्रों में टहलने जाना भी महत्वपूर्ण है।
वास्तव में, किसी भी प्रकार की मध्यम शारीरिक गतिविधि से मानसिक लाभ मिल सकते है, चाहे वो बागवानी ही क्यों न हो।
Also Read: डायबिटीज कंट्रोल करने में लाभकारी है फिजिकल एक्टिविटी