भारतीयों के भोजन में प्रोटीन (Protein) की भारी कमी है और केवल नौ प्रतिशत वयस्कों को ही आहार में पर्याप्त प्रोटीन मिल रहा है।
यह जानकारी न्यूट्रिशन फूड बनाने वाली कंपनी डैनोन इंडिया ने भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के सहयोग से पूरा किए एक सर्वेक्षण उपरांत दी है।
सर्वेक्षण का उद्देश्य भारतीय वयस्कों को मिलने वाले न्यूट्रिशन के आधार पर उनके शारीरिक स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता (Quality of Life -QoL) का आकलन करना था।
यह एक सर्वविदित तथ्य है कि सही पोषण ही मनुष्य के जीवन और स्वास्थ्य दोनों को अच्छा रखता है। लेकिन सर्वेक्षण में भारतीयों के जीवन और स्वास्थ्य का स्तर बहुत खराब मिला।
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जीवन की गुणवत्ता (क्यूओएल) पता करने वाला यह सर्वेक्षण, डब्ल्यूएचओ क्यूओएल (WHOQoL) प्रश्नावली पर आधारित बताया गया है।
इसे मई-जून 2021 में दिल्ली, मुंबई, लखनऊ, चेन्नई, इंदौर, हैदराबाद, कोलकाता और पटना में आयोजित किया गया था।
लगभग 2762 भारतीय वयस्कों ने इस सर्वेक्षण से जुड़े सवालों के जवाब दिए।
उनके जवाबों से पता चला कि दो भारतीय वयस्कों में से लगभग एक का जीवन स्तर खराब है।
सर्वेक्षण के अनुसार, लगभग 46 फीसदी भारतीय वयस्क खराब जीवन जी रहे है। इनमें 50 फीसदी महिलाओं का जीवन स्तर 42 फीसदी पुरुषों की तुलना में निम्न दर्जे का बताया गया है।
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यही नहीं, महिलाओं का शारीरिक स्वास्थ्य भी पुरुषों की तुलना में कमजोर मिला है।
जीवन की गुणवत्ता का सबसे ज्यादा खराब स्तर कोलकाता में रहने वाले वयस्कों का दर्ज किया गया। इसके बाद चेन्नई, दिल्ली, पटना, हैदराबाद, लखनऊ और इंदौर के रहने वालों का नंबर आया है।
हालांकि, अच्छी गुणवत्ता वाला जीवन जीने में मुंबई के लोगों ने सबसे ज्यादा (68 फीसदी) स्कोर हासिल किया।
सर्वे में भाग लेने वाले 99 फीसदी उत्तरदाता इस बात से सहमत थे कि शारीरिक स्वास्थ्य और पोषण एक अच्छी गुणवत्ता वाला जीवन जीने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है।
लगभग 98 फीसदी ने माना कि जीवन की अच्छी गुणवत्ता के लिए प्रोटीन युक्त आहार महत्वपूर्ण है।
दुर्भाग्य से, केवल 9 फीसदी उत्तरदाताओं की ही प्रोटीन की दैनिक आवश्यकता पूरी हो पाई थी। दूसरी ओर, वयस्कों में इम्युनिटी और स्वस्थ रहने के लिए जरूरी 10 सूक्ष्म पोषक तत्वों की एक बड़ी कमी भी पाई गई।
पिछले कुछ वर्षों में जीवनशैली और पर्यावरणीय परिवर्तनों ने जीवन की गुणवत्ता पर प्रतिकूल प्रभाव डाला है। खराब खान-पान, अनियमित नींद और ज्यादा समय तक बैठे रहने ने इस स्थिति को और भी गंभीर बनाया है।
लेकिन वर्तमान कोरोना महामारी ने लोगों को हेल्थ और वैलनेस पर ध्यान केंद्रित करने के लिए मजबूर कर दिया है।
ऐसे में एक स्वस्थ प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए संतुलित और पौष्टिक आहार के साथ-साथ पर्याप्त फिजिकल एक्टिविटी भी जरूरी हो गई है।