कोरोना संक्रमण (COVID-19 infection) से बचाने वाली वैक्सीन (Vaccines) गर्भवती महिलाओं के शिशुओं को कोई नुकसान नहीं पहुंचाती है।
यूसी सैन फ्रांसिस्को के वैज्ञानिकों को एक अध्ययन में COVID-19 के मैसेंजर आरएनए टीकों (Messenger RNA vaccines) का माओं के दूध में कोई अंश नहीं मिला।
यह शुरुआती सबूत बताते है कि स्तनपान करवाने वाली महिलाओं के लिए एमआरएनए वैक्सीन (mRNA vaccines) लगवाना सुरक्षित है और इनसे शिशु की सेहत प्रभावित नहीं होती।
एमआरएनए वैक्सीन संक्रामक रोगों से बचाव के लिए इस्तेमाल होने वाले नई तरह के टीके है।
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खोज में वैज्ञानिकों ने फाइजर और मॉडर्न के एमआरएनए टीकेँ लगवा चुकी सात महिलाओं के स्तन दूध का विश्लेषण किया था।
अध्ययन में शामिल माताओं की औसत आयु 37 वर्ष और उनके बच्चों की आयु एक महीने से तीन वर्ष तक बताई गई।
सामने आए नतीजे इस तथ्य की पुष्टि करते है कि एमआरएनए टीके स्तनपान में सुरक्षित है और कोविड वैक्सीन लगवा चुकी माताओं को स्तनपान जरूर करवाना चाहिए।
इससे पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन भी स्तनपान कराने वाली महिलाओं को टीका लगाने की आवश्यकता बता चुका है।
एकेडमी ऑफ ब्रेस्टफीडिंग मेडिसिन ने तो पहले ही टीकों के नैनोपार्टिकल या एमआरएनए के दूध में स्थानांतरित होने से जुड़े जोखिम को नवजात शिशु की इम्युनिटी पर बेअसर बताया था।
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हालांकि, माताओं के दूध में वैक्सीन अंश न मिलने के बावजूद वैज्ञानिकों ने इस छोटे अध्ययन को ज्यादा अच्छे नतीजे मिलने की उम्मीद से बड़ी आबादी पर आजमाने की आवश्यकता बताई।
जामा पेडियाट्रिक्स में प्रकाशित यह खोज स्तनपान में टीकों के सुरक्षित होने का पहला सबूत पेश करती है।
इससे उन माताओं की चिंता दूर होगी जिन्होंने नवजात की सेहत को नुकसान के डर से वैक्सीन या दूध में दवा आने की आशंका से स्तनपान को मना कर दिया हो।