सोने से पहले कम नीले रंग की रोशनी (Blue Light) में रहने से शरीर के मेटाबॉलिज्म (Metabolism) को स्वस्थ रखने में आसानी होगी, ये कहना है जापानी वैज्ञानिकों का।
जापान की सुकुबा और यामागाटा यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों की टीम ने बताया है कि रात को लंबे समय तक प्रकाश के संपर्क में रहने से मानव स्वास्थ्य पर कई नकारात्मक प्रभाव पड़ सकते है।
इसलिए उन्होंने एक नए प्रकार की रोशनी से नींद के दौरान होने वाले शारीरिक दुष्प्रभावों में कमी पाई।
साइंटिफिक रिपोर्ट्स नामक पत्रिका में छपे उनके अध्ययन में सोते समय शरीर पर घरों में इस्तेमाल होने वाले एलईडी (LED) और ऑर्गनिक एलईडी (OLED) के प्रभावों की तुलना की गई है।
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सफेद एलईडी बल्ब और ट्यूबलाइट बड़ी मात्रा में नीली रोशनी छोड़ते है, जिसे कई नकारात्मक स्वास्थ्य प्रभावों से जोड़ा गया है।
इसके विपरीत, ऑर्गनिक एलईडी की सफेद रोशनी में नीले रंग की मात्रा कम होती है, जिससे नींद और मेटाबॉलिज्म पर कम असर पड़ता है।
इस धारणा की पुष्टि के लिए उन्होंने 10 पुरुषों को सोने से चार घंटे पहले एलईडी, ओएलईडी, या मंद रोशनी में रहने को कहा।
इसके बाद उनकी नींद के दौरान एनर्जी खर्च, शरीर का तापमान, चर्बी का जलना और नींद लाने में सहायक मेलाटोनिन हार्मोन के स्तर को मापा गया।
टीम ने नोटिस किया कि ओएलईडी में रहने के बाद नींद के दौरान एनर्जी खर्च और शरीर तापमान में काफी कमी आई।
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इसके अलावा, ओएलईडी की अपेक्षा एलईडी के संपर्क में आने के बाद सोते समय चर्बी का जलना काफी कम था।
ओएलईडी के संपर्क में आने के बाद चर्बी का जलना मेलाटोनिन के स्तर से जुड़ा हुआ मिला। इससे यह पता चला कि एनर्जी मेटाबॉलिज्म पर मेलाटोनिन का प्रभाव रोशनी बदलने से निर्धारित होता है।
वैज्ञानिकों की मानें तो खास तरह की रोशनी अन्य शारीरिक परिवर्तनों के साथ-साथ वजन बढ़ने को भी प्रभावित कर सकती है।
उन्होंने उम्मीद जताई कि इस नई जानकारी से रात के समय विभिन्न प्रकार की रोशनी के शरीर पर पड़ने वाले नकारात्मक असर को जाना जाएगा और उसे कम करने के लिए वैकल्पिक प्रकाश स्रोतों के चयन की सुविधा मिलेगी।