ये तो सभी जानते है कि सिगरेट-बीड़ी पीना (Smoking) दिल और फेफड़ों के लिए हानिकारक है, लेकिन इससे दिमाग को होने वाले नुकसान के बारे में लोग अनजान ही रहते है।
इस पर विशेषज्ञों का कहना है कि असल में धूम्रपान यानी स्मोकिंग मानव शरीर के हर अंग को नुकसान पहुंचाता है।
टोबैको रिसर्च एंड इंटरवेंशन से संबंधित मैडिसन की विस्कॉन्सिन यूनिवर्सिटी और जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों ने बताया है कि स्मोकिंग करने वालों में दिमागी विकारों से संबंधित मौत का खतरा काफी अधिक होता है।
इसमें डिमेंशिया (Dementia) की समस्या सबसे आम है। यह दिमाग की सोचने, समझने और याद रखने की क्षमता का निरंतर कम होना है।
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पीएलओएस वन पत्रिका में प्रकाशित 37 विभिन्न अध्ययनों के विश्लेषण बताते है कि कुल मिलाकर, स्मोकिंग वालों को डिमेंशिया होने की 30 प्रतिशत और अल्जाइमर रोग (Alzheimer’s Disease) होने की 40 प्रतिशत से अधिक संभावना होती है।
यही नहीं, प्रतिदिन 20 सिगरेट पीने से डिमेंशिया का जोखिम 34 प्रतिशत तक बढ़ता जाता है। इसके अलावा, स्ट्रोक का खतरा भी दिन-ब-दिन विकसित होता जाता है।
दूसरी तरफ, अध्ययनों में यह भी सामने आया है कि स्मोकिंग छोड़ने से मस्तिष्क को होने वाले नुकसान मिटाने में मदद मिल सकती है। साथ ही हृदय और मस्तिष्क स्वास्थ्य में सुधार भी संभव है।
बाल्टीमोर के जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी में हुए एक अध्ययन में पाया गया कि धूम्रपान छोड़ने वालों में डिमेंशिया का जोखिम समय के साथ कम होता गया। अंततः नौ साल बाद, यह खतरा कभी धूम्रपान न करने वालों जितना ही हो गया।
इससे यह साबित हुआ कि धूम्रपान जितना जल्दी छोड़ दिया जाए, उतना सेहत के लिए अच्छा रहता है।
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दुर्भाग्यवश लोग उम्र बढ़ने पर भी इस लत से बाज नहीं आते।
देखा गया है कि बुजुर्गों में रोजाना स्मोकिंग करने की संभावना अधिक होती है और युवाओं के मुकाबले वो इस लत को छोड़ने की कोशिश कम करते है। डॉक्टरों भी उन्हें स्मोकिंग छोड़ने या अन्य तरीकों को अपनाने की सलाह कम ही देते है।
विशेषज्ञों का कहना है कि मानसिक बीमारी, तनाव या चिंता से जूझते इंसान भी धूम्रपान ज्यादा करते है। ऐसे में उन्हें बिना किसी सहायता के इस लत को छोड़ना कठिन लगता है।
ऐसे लोगों में धूम्रपान की दर सामान्य आबादी की तुलना में दो से पांच गुना अधिक होती है।
स्मोकिंग छोड़ने पर भी ऐसे लोगों में दोबारा शुरू करने की तलब उठनी शुरू हो जाती है। इसलिए उन्हें दवाओं और परामर्श की आवश्यकता होती है, ताकि वे इस जानलेवा लत से निपट सकें।
ऐसा करने से सिगरेट-बीड़ी छोड़ने के बाद उम्र बढ़ने पर भी इंसान के पूरे शरीर, विशेष रूप से मस्तिष्क को, मदद मिल सकती है।
साभार: अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन