Third Wave of Coronavirus: महामारी के मामले घटने के बावजूद भारत में इस साल अक्टूबर तक तीसरी COVID-19 लहर आने का खतरा है, ऐसी चिकित्सा स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने आशंका जताई है।
हालांकि, उनका मानना है कि वायरस के वर्तमान प्रकोप के मुकाबले आने वाले नए प्रकोप को टीकाकरण (Vaccination) में हुई महत्वपूर्ण वृद्धि बेहतर ढंग से नियंत्रित कर सकती है।
लेकिन जो सर्वाधिक चिंताजनक भविष्यवाणी उन्होंने की है वो है कोरोना महामारी का कम से कम एक और वर्ष तक सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरा बने रहना।
एक सर्वे में शामिल दुनिया भर के लगभग 40 स्वास्थ्य विशेषज्ञों, डॉक्टरों, वैज्ञानिकों, वायरोलॉजिस्ट, महामारी विज्ञानियों और प्रोफेसरों की भविष्यवाणियां मानें तो कोरोना वायरस का खतरा अभी टला नहीं है।
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भविष्यवाणी करने वाले 85 फीसदी से अधिक विशेषज्ञों ने अक्टूबर में वायरस के नए केस बढ़ने शुरू होने की संभावना जताई है।
लेकिन 70 फीसदी से अधिक विशेषज्ञों का कहना था कि मौजूदा प्रकोप की तुलना में किसी भी नए प्रकोप को बेहतर ढंग से नियंत्रित किया जा सकता है।
ज्ञात हो कि जो पिछले वर्ष की तुलना में टीकों, दवाओं, ऑक्सीजन और अस्पताल के बिस्तरों की कमी के कारण वर्तमान कोरोना वायरस प्रकोप कहीं अधिक विनाशकारी साबित हुआ।
तीसरी लहर अधिक नियंत्रित और कम मामलों वाली होने के पीछे उन्होंने अधिक टीकाकरण शुरू होने और लोगों में कुछ हद तक प्राकृतिक प्रतिरक्षा बनने की वजह बताई है।
हालांकि, अभी तक आबादी के एक बड़े हिस्से का टीकाकरण न हो पाने के कारण असंख्य लोग संक्रमण और मौतों की चपेट में आ सकते है।
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इसमें देश के अधिकतर राज्यों द्वारा कोरोना प्रतिबंधों को जल्द से जल्द हटाने की प्रक्रिया भी घातक साबित हो सकती है, ऐसा उन्हें अंदेशा है।
बच्चों और 18 साल से कम उम्र वालों में संक्रमण के खतरे पर बोलते हुए विशेषज्ञों ने उन्हें संभावित तीसरी लहर झेलने में कमजोर माना क्योंकि अभी तक उनके लिए कोई टीका उपलब्ध नहीं है।
हालांकि, भविष्य के नए वेरिएंट मौजूदा टीकों को अप्रभावी तो नहीं बनाएंगे, लेकिन भारत में कोरोनावायरस कम से कम एक साल और सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए खतरा बना रहेगा, इस बारे में उन्होंने आगाह किया।
तब तक भारत के निवासी संभावित रूप से वैक्सीन और बीमारी के संपर्क में आने से हर्ड इम्यूनिटी विकसित कर लेंगे, ऐसी उन्होंने उम्मीद की।