स्वास्थ्य के प्रति जागरूक अधिकांश लोगों ज्यादा प्रोटीन (High Protein) खाना शरीर के लिए अच्छा मानते है।
लेकिन सिडनी विश्वविद्यालय के चार्ल्स पर्किन्स सेंटर में कार्यरत वैज्ञानिकों ने इस धारणा को गलत घोषित किया है।
चूहों पर हुई एक हालिया रिसर्च में उन्होंने प्रोटीन और कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrate) के विभिन्न स्रोतों से बनी 33 अलग-अलग डाइट की जांच की।
इस सबसे बड़ी मानें जानी वाली रिसर्च में उन्होंने पाया कि भोजन से मिलने वाली ऊर्जा का केवल 10 फीसदी प्रोटीन से और 70 फीसदी धीरे पचने वाले स्टार्च से बने कार्बोहाइड्रेट से लेना सर्वाधिक स्वास्थ्यप्रद रहा।
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बता दें कि धीरे पचने वाले स्टार्च से भरपूर कार्बोहाइड्रेट जल्दी हजम नहीं होते और इन्हें आंत के बैक्टीरिया गलाते है।
लेकिन बिना फाइबर वाले रिफाइंड अनाज और चीनी से बने कार्बोहाइड्रेट, कम प्रोटीन के साथ मिलकर सबसे खराब परिणाम देते है।
यह रिसर्च वैज्ञानिकों के पिछले अध्ययन पर आधारित थी, जिसमें चूहों को कम प्रोटीन-उच्च कार्बोहाइड्रेट देने से लंबा जीवनकाल और बेहतर स्वास्थ्य मिला था।
वैज्ञानिकों के अनुसार, कार्बोहाइड्रेट की संरचना और इसके पचने का ढंग, आहार में प्रोटीन के कम स्तर को प्रभावित करता है। साथ ही, इससे लिवर और आंत के बैक्टीरिया पर भी असर पड़ता है।
रिसर्च के निष्कर्ष बताते है कि क्यों जंक फूड के मुकाबले कम प्रोटीन और साबुत अनाज, फलियां तथा दालों वाले उच्च कार्बोहाइड्रेट खाने से स्वास्थ्य अच्छा रहता है।
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इससे यह भी पता चला कि सबसे लंबे समय तक जीने वाले पारंपरिक ओकिनावा जापानी, कम प्रोटीन और उच्च कार्बोहाइड्रेट आहार क्यों लेते है।
लेकिन जब प्रोटीन को रिफाइंड कार्बोहाइड्रेट में मिला दिया जाता है तो स्वास्थ्य के परिणाम इतने अनुकूल नहीं होते।
इसलिए वैज्ञानिकों की सलाह थी कि बिना फाइबर के और मीठे से भरपूर केक, पिज्जा, बिस्कुट और अन्य रेडीमेड भोजन को हटाईये तथा ओट्स, दालों, बींस, सब्जियों और ताजे फलों को खाने में शामिल कीजिए।
उनके अनुसार, नाश्ते में दलिया और फल, लंच में साबुत अनाज, दाल के साथ सलाद और डिनर में बहुत सारी सब्जियों (कम से कम आधा प्लेट) के साथ थोड़ा चिकन या मछली खाना स्वास्थ्य के लिए अच्छा रहेगा।
तीन साल में पूरी होने वाली इस रिसर्च को नेचर मेटाबॉलिज्म पत्रिका में प्रकाशित किया गया।