वैज्ञानिकों का मानना है कि उपवास रखने (Fasting) से कई स्वास्थ्य समस्याओं का इलाज संभव है।
इसी कड़ी में किंग्स कॉलेज लंदन के एक्सपर्ट्स ने अंदेशा जताया है कि उपवास से याददाश्त (Memory) में भी सुधार किया जा सकता है।
चूहों पर किए गए एक प्रयोग में उन्होंने पाया कि उपवास ने दिमाग के हिप्पोकैम्पस (Hippocampus) हिस्से में नए न्यूरॉन्स (Neurons) उत्पन्न करने में मदद की।
आपको बता दें कि सीखने और याद रखने में हिप्पोकैम्पस की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। उम्र बढ़ने और विकारों से ग्रस्त होने पर यह हिस्सा कमजोर होता जाता है।
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इसलिए एक्सपर्ट्स को उम्मीद बंधी कि उपवास रखने से खासकर वृद्ध लोगों में दिमागी कार्यकुशलता गिरावट को धीमा किया जा सकता है।
मॉलिक्यूलर बायोलॉजी में प्रकाशित उनके अध्ययन की मानें तो रुक-रुक कर उपवास, जिसे इंटरमिटेंट फास्टिंग (Intermittent fasting) कहा जाता है, द्वारा आहार से मिलने वाली कैलोरी कम करने पर चूहों में क्लोथो (Klotho) जीन के विकास को बढ़ावा मिला।
क्लोथो, जिसे अक्सर “दीर्घायु जीन” (longevity gene) के रूप में जाना जाता है, ने हिप्पोकैम्पस में नए न्यूरॉन्स के निर्माण (Neurogenesis) में केंद्रीय भूमिका निभाई।
याददाश्त को बनाएं रखने के लिए नए न्यूरॉन्स महत्वपूर्ण है। उम्र के साथ उनके उत्पादन में गिरावट आने से ही संभवत वृद्ध लोगों में दिमागी सूझबूझ कमजोर हो जाती है।
प्रयोगशाला में कम कैलोरी देकर उपवास पर रखे गए चूहों ने अन्यों की तुलना में लंबे समय तक याददाश्त क्षमता को बनाएं रखा।
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ऐसे चूहों के दिमाग का अध्ययन करने पर क्लोथो जीन और न्यूरॉन्स की मात्रा स्पष्ट रूप से बढ़ी हुई मिली।
एक्सपर्ट्स की राय थी कि उपवास याददाश्त क्षमता को काफी समय तक बरकरार रखने वाले न्यूरॉन्स को बढ़ाने का एक प्रभावी साधन है।
जानवरों के बाद, अब उन्हें ऐसे परीक्षण में इंसानों के भी शामिल होने की आशा है।
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