संयुक्त राज्य की ड्यूक यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञ एक ऐसा स्मार्ट शौचालय (Smart Toilet) बना रहे है, जो गंभीर पेट संबंधी बीमारियों के बारे में बता सकता है।
बीमारियों को बताने वाली इसकी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) तकनीक को रोगियों के मल (Stool) का विश्लेषण करने के लिए शौचालय से जोड़ा जाएगा।
इसके बाद यह गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट (Gastroenterologists) को उचित उपचार प्रदान करने के लिए आवश्यक जानकारी देगी।
नई तकनीक आंत्र सूजन रोग (Inflammatory Bowel Disease -IBD) और इरिटेबल बाउल सिंड्रोम (Irritable Bowel Syndrome -IBS) के उपचार में सहायता कर सकती है।
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विशेषज्ञों के अनुसार, डॉक्टरों को मरीजों की पेट संबंधी समस्याओं को निर्धारित करने के लिए उनके मल की जानकारी पर भरोसा करना पड़ता है, जो मरीज अक्सर सटीक नहीं दे पाता।
ऐसे में स्मार्ट टॉयलेट तकनीक पुरानी गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याओं का अधिक सटीक और समय पर इलाज करने के लिए आवश्यक जानकारी मुहैया करवा सकता है।
स्मार्ट टॉयलेट तकनीक को मौजूदा शौचालय के पाइपों के भीतर फिट किया जाएगा।
जब कोई व्यक्ति मल त्याग कर फ्लश करेगा, तो शौचालय पाइप के भीतर मल की एक फोटो ले लेगा।
समय के साथ एकत्र किया गया डाटा, गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट को रोगी के मल की बेहतर समझ प्रदान करेगा, जिससे समय रहते सही उपचार मिल पाना संभव होगा।
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स्मार्ट टॉयलेट के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इमेज एनालिसिस टूल (Artificial Intelligence Image Analysis Tool) विकसित करने के लिए विशेषज्ञों ने इंसानी मल की तीन हजार से ज्यादा तस्वीरों का विश्लेषण किया।
सभी तस्वीरों को गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट ने ब्रिस्टल स्टूल स्केल के अनुसार वर्गीकृत किया।
परीक्षण के दौरान विशेषज्ञों ने पाया की मशीन के एल्गोरिदम ने सभी तरह के मल की आकृतियों को 85 फीसदी सटीक रूप से वर्गीकृत किया।
यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों को उम्मीद है कि आसानी से इस्तेमाल होने वाली इस तकनीक को मरीज तुरंत अपना लेंगे, क्योंकि इसे सिर्फ उनके शौचालय के पाइप में लगाना है।
इससे उन रोगियों को विशेष लाभ होगा, जो अपनी समस्याओं को बताने में सक्षम नहीं होते।