मछली, फल-सब्जियां और जैतून का तेल मस्तिष्क की कई बीमारियों से रक्षा कर सकते है, ऐसा एक अध्ययन के वैज्ञानिकों का कहना था।
70 साल की उम्र के कुछ 512 बुजुर्गों के दिमाग की जांच करने पर उन्हें पता चला कि लंबे समय तक सब्जियां, फलियां, फल, अनाज, मछली और मोनोअनसैचुरेटेड फैटी एसिड वाला जैतून का तेल खाने वाले दिमागी तौर पर एकदम स्वस्थ थे।
जबकि ऐसा भोजन न करने वाले 343 बुजुर्गों को अल्जाइमर रोग (Alzheimer’s Disease) होने का खतरा था। यह एक प्रगतिशील बीमारी है जो याददाश्त और अन्य महत्वपूर्ण मानसिक कार्यों को खत्म कर देती है।
यही नहीं, पौधों पर आधारित भोजन तथा मछली खाने से दिमाग की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाने वाले हानिकारक प्रोटीन का जमाव भी रुका रहा।
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ऐसे भोजन में डेयरी उत्पादों, लाल मांस और रिफाइंड घी-तेल का सेवन कम था।
वैज्ञानिकों ने ऐसा भोजन खाने वालों और न खाने वालों दोनों तरह के बुजुर्गों के दिमागी को एमआरआई (MRI) से जांचा।
सभी की याददाश्त से जुड़े कार्यों के लिए विभिन्न न्यूरोसाइकोलॉजिकल परीक्षण भी किए।
इसके अलावा, टीम ने मस्तिष्क में हानिकारक अमाइलॉइड बीटा प्रोटीन और टाऊ प्रोटीन के स्तर को भी देखा।
उन्होंने पाया कि स्वास्थ्यवर्द्धक आहार नहीं खाने वालों के मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी में पाए जाने वाले सेरिब्रल स्पाइनल फ्लूइड (Cerebrospinal Fluid) में बीमारियों के सूचकों का स्तर, अन्यों के मुकाबले अधिक था।
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याददाश्त से जुड़े परीक्षणों में खराब आहार खाने वालों का प्रदर्शन, स्वस्थ भोजन खाने वालों की तुलना में कमजोर रहा।
लेकिन फलों-सब्जियों और मछली खाने वालों के दिमाग में हिप्पोकैम्पस की स्थिति अच्छी देखी गई।
हिप्पोकैम्पस सीखने और याददाश्त नियंत्रित करने वाला हिस्सा है। यह अल्जाइमर जैसे मस्तिष्क रोग में जल्दी और गंभीर रूप से सिकुड़ जाता है।
अध्ययन ने बताया कि स्वस्थ आहार दिमाग को सिकुड़ने और हानिकारक प्रोटीन के जमाव से बचाता है। इनके बढ़ने से कमजोर याददाश्त और भूलने की बीमारी हो सकती है।
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