स्वीडिश वैज्ञानिकों के एक दल ने डिप्रेशन (Depression) की वजह को ढूंढ निकाला है।
उनकी स्टडी दिमाग में सेरोटोनिन (Serotonin) हार्मोन के घटे हुए स्तर को डिप्रेशन होने का मुख्य कारण बताती है।
वैज्ञानिकों का दावा है कि कई एंटीडिप्रेसेंट दवाएं एक ऐसे प्रोटीन को रोकने का काम करती है, जो डिप्रेशन दूर करने में सहायक सेरोटोनिन को तंत्रिका कोशिकाओं (nerve cells) से दूर कर देता है।
यह निष्कर्ष स्वीडन के कारोलिंस्का इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने डिप्रेशन के शिकार कुछ मरीजों की ब्रेन इमेजिंग स्टडी के बाद निकाला।
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उनकी स्टडी ने बताया कि एक उपचार के बाद डिप्रेशन से ठीक हुए 17 इंसानों में सेरोटोनिन लाने-ले जाने वाले प्रोटीन का औसत स्तर बढ़ा हुआ मिला।
ट्रांसलेशनल सायकेट्री पत्रिका में प्रकाशित स्टडी के परिणामानुसार, सेरोटोनिन में परिवर्तन डिप्रेशन का एक हिस्सा है, जो किसी घटना के फलस्वरूप उत्पन्न होता है।
आपको बता दें कि सेरोटोनिन एक न्यूरोट्रांसमीटर है, जो हमारे मूड और भावनाओं को प्रभावित करता है।
इसे दिमाग में सेरेब्रल न्यूरॉन सिनेप्स (Cerebral Neuron Synapses) से दूर या पास लाने-ले जाने वाले प्रोटीन 5-HTT की एक महत्वपूर्ण भूमिका है।
सिनेप्स दिमागी कार्य, खासकर याददाश्त के लिए आवश्यक है।
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कई आधुनिक अवसादरोधी दवाएं (Antidepressant Drugs) इस ट्रांसपोर्टर को रोकती है, जिससे सिनेप्स में सेरोटोनिन की अधिकता हो जाती है।
हालांकि, इन दवाओं का प्रभाव कई हफ्तों बाद होता है और कुछ मामलों में तो होता ही नहीं। इसलिए वैज्ञानिक इस स्टडी से नई बेहतर दवा की उम्मीद लगाए हुए है।
लेकिन इसके लिए डिप्रेशन के कारणों की विस्तृत जानकारी जरूरी है।
पिछले अध्ययनों में भी स्वस्थ व्यक्तियों की तुलना में डिप्रेशन के शिकार व्यक्तियों में 5-HTT प्रोटीन का स्तर कम बताया गया था।
स्टडी में वैज्ञानिकों ने डिप्रेशन के उपचार से पहले और बाद में 17 मरीजों का 5-HTT स्तर मापा तो उन्हें पता चला कि यह तीन महीने के उपचार के बाद औसतन 10 प्रतिशत अधिक था।
नतीजतन, 17 में से 13 रोगियों ने अपने लक्षणों में अच्छा सुधार महसूस किया।
वैज्ञानिकों के अनुसार, 5-HTT स्तर का बढ़ना दिमाग का डिप्रेशन से खुद को सुरक्षित रखने वाले रक्षा तंत्र का हिस्सा भी हो सकता है।
जब कोई व्यक्ति तनाव महसूस करता है तो 5-HTT का स्तर गिरता है और जैसे ही तनाव कारक स्थिति समाप्त होती है, यह स्तर बढ़ जाता है।