एवोकैडो (Avocado) में पाए जाने वाले एक औषधीय तत्व से ल्यूकेमिया (Leukemia) का बेहतर इलाज किया जा सकता है, ऐसा कनाडा की गेल्फ यूनिवर्सिटी में हुई एक स्टडी से पता चला।
यह तत्व कैंसर सेल के विकास के लिए महत्वपूर्ण एक ऐसे एंजाइम को निशाना बनाता है, जिसका वैज्ञानिकों को पहली बार पता चला।
तेजी से बढ़ने वाला माइलॉयड ल्यूकेमिया (Acute Myeloid Leukemia) खून और बोन मेरो का ऐसा कैंसर है, जो इलाज न करने पर जानलेवा हो जाता है।
इससे प्रभावित अधिकांश मरीज 65 वर्ष से अधिक आयु के होते है।
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दुःख की बात यह है कि इसके होने के पांच साल बाद तक 10 प्रतिशत से भी कम मरीज जीवित रह पाते है।
वैज्ञानिकों के अनुसार, VLCAD नामक एक एंजाइम ल्यूकेमिया बीमारी की कोशिकाओं को जीवित रहकर बढ़ने में सहायता करता है।
टीम ने इस एंजाइम को बाधित करने के लिए बहुत से औषधीय गुणों वाले तत्वों का उपयोग किया, जिनमें एवोकैडो से प्राप्त एवोकैटिन बी (Avocatin B) सर्वोत्तम रहा।
एवोकैटिन बी घातक ल्यूकेमिया कोशिकाओं को मारने में सक्षम पाया गया।
पहले के एक अध्ययन में फैट मॉलिक्यूल एवोकैटिन बी से डायबिटीज और मोटापे को रोकने में भी सफलता मिली थी।
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वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि इसे कैंसर ठीक करने की एक दवा में विकसित करके अन्य कीमोथेरेपी दवाओं के साथ दिया जा सकता है।
वर्तमान में, ल्यूकेमिया कैंसर से पीड़ित मरीजों को तय दवाएं देना घातक हो सकता है। इसलिए कम जहरीली दवाओं को खोजने की जरूरत है।
ऐसे में इंसानों पर हुए अध्ययन में एवोकैटिन बी को डायबिटीज के इलाज में प्रभावी देखे जाने से इससे बनी दवा को कैंसर के मरीज सुरक्षित रूप में ले सकते है।
जर्नल ब्लड में प्रकाशित अध्ययन में वैज्ञानिकों का सुझाव था कि कैंसर कोशिकाओं को विकसित करने वाले एंजाइम को पहचान कर उस पर एवोकैडो के तत्व से बनी दवा का असर आसानी से देखा जा सकता है।