भोजन से मिलने वाले फाइबर में कमी शरीर पर क्या असर डालती है, इसका उदाहरण एक नए अध्ययन में देखने को मिला।
जॉर्जिया विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों ने कम फाइबर की बनी ब्रेड, नूडल्स, बिस्कुट आदि से शुरू में तो खाने-पीने से जुड़े संक्रामक रोगों पर नियंत्रण देखा, लेकिन बाद में ऐसे भोजन ने कम दर्जे का गंभीर संक्रमण और सूजन बढ़ा कर डायबिटीज जैसी बीमारियां कर दी।
चूहों पर किए एक प्रयोग में उन्होंने देखा कि कैसे साबुत अनाज से बने भोजन की जगह पैकेटबंद भोजन देने से मनुष्यों में संक्रमण फैलाने वाले ई.कोली जैसा ही एक विषाणु (Citrobacter rodentium) पेट में रहने वाले अच्छे बैक्टीरिया और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर कर संक्रमण बढ़ा देता है।
यह तो हम सभी जानते है कि पाचन तंत्र में रहने वाले बैक्टीरिया बीमारी करने वाले विषाणुओं से हमारी रक्षा करते है।
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इन सूक्ष्मजीवों को भोजन से उपलब्ध फाइबर से शक्ति मिलती है।
लेकिन पाश्चात्य खानपान में फाइबर की कमी होती है। ऐसे खाने की अधिकता लंबे समय तक चलने वाली पेट की बीमारियों, मोटापे, डायबिटीज, हाई कोलेस्ट्रॉल और कैंसर में वृद्धि करती है।
चूहों को साबुत अनाज की बजाए उच्च वसा, कम फाइबर वाले पश्चिमी आहार देते रहने से उनके आंत बैक्टीरिया की संख्या में तेजी से कमी आई।
इसके दुष्प्रभाव से वो रोगज़नक़ विषाणु को आंत से साफ नहीं कर सके और उनमें बार-बार संक्रमण विकसित होने का खतरा भी बना रहा।
प्लोस पैथोजन्स पत्रिका में छपे अध्ययन के निष्कर्षों में विशेषज्ञों ने बताया कि पाश्चात्य आहार आंत बैक्टीरिया की संख्या को कम करते है और विषाणुओं के अतिक्रमण को बढ़ावा देते है।
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ऐसा आहार रोगजनक बैक्टीरिया से शरीर की रक्षा करने वाली प्रतिरक्षा प्रणाली को कमजोर करता है।