रेमेडिसविर (Remdesivir) और हेपेटाइटिस सी (Hepatitis C) की दवाओं से कोरोना (Covid-19) मरीजों को ठीक किया जा सकता है, ऐसा दावा अमेरिकी वैज्ञानिकों ने अपनी नई रिसर्च में किया है।
सेल रिपोर्ट्स जर्नल में छपी उनकी रिसर्च के निष्कर्ष बताते है कि हेपेटाइटिस सी वायरस को मारने के लिए बनी दवाओं को रेमेडिसविर के साथ मिलाना, SARS-CoV-2 वायरस को रोकने पर 10 गुना ज्यादा असरदार रहा।
रेमेडिसविर की एंटीवायरल गतिविधि को बढ़ाने वाली हेपेटाइटिस सी दवाएं मुंह से ली जाने वाली श्रेणी में आती है।
दोनों को संयुक्त रूप में लेने से बिना वैक्सीन वाले संक्रमितों और नए वेरिएंट्स के खिलाफ हल्की इम्युनिटी वालों को फायदा होगा, ऐसा वैज्ञानिकों का कहना था।
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रेमेडिसविर को कई तरह के वायरस का खात्मा करने में सक्षम बताया गया है। खतरनाक इबोला के प्रकोप में भी रेमेडीसविर परीक्षण में रोगियों के लिए सुरक्षित और प्रभावी थी।
यहां तक कि कोरोना महामारी (Corona Pandemic) के शुरुआती दौर में भी इसे उपचार के तौर पर सफल माना गया था, लेकिन यह सही साबित नहीं हुआ।
इस बार वैज्ञानिकों की टीम ने रेमेडीसविर के साथ 10 हेपेटाइटिस सी दवाओं का उपयोग करके कोरोना वायरस (Corona Virus) के प्रोटीन बाइंडिंग और विकसित होने की प्रवृति का अध्ययन किया।
उन्हें यह जानकर आश्चर्य हुआ कि सात में से चार हेपेटाइटिस सी दवाओं ने एक अलग तरह के SARS-CoV-2 को विकसित होने से रोक दिया और रेमेडिसविर की प्रभावकारिता को 10-गुना तक बढ़ाया।
वैज्ञानिकों का कहना था कि क्योंकि इन हेपेटाइटिस सी दवाओं को पहले से ही उपचार के लिए मंजूरी मिली हुई है और इनसे हुए संभावित दुष्प्रभाव भी ज्ञात है, इसलिए कोरोना को ठीक करने में नई दवा की अपेक्षा इनका मनुष्यों में अधिक तेजी से परीक्षण किया जा सकता है।
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उनके अनुसार, COVID-19 से दुनिया भर में लगभग 30 लाख लोग मारे गए है। कई देशों में वैक्सीन की किल्लत और रख-रखाव में कठिनाइयों के चलते मौखिक रूप से उपलब्ध समाधान एंटीवायरल के लिए उपयोगी साबित हो सकता है।
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