धूम्रपान (Smoking) करने वालों को तो कैंसर (Cancer) जैसी जानलेवा बीमारी का खतरा होता ही है, लेकिन इसे नहीं करने वालों को भी कैंसर हो सकता है।
ये चौंकाने वाली खबर हाल ही में ब्रिटिश मेडिकल जर्नल की टोबैको कंट्रोल पत्रिका में छपे एक अध्ययन ने दी।
अध्ययन के मुताबिक, सेकेंड हैंड स्मोक (Secondhand Smoke) यानि दूसरों के धूम्रपान के धुएं से प्रभावित मनुष्यों को मुंह का कैंसर (Oral Cancer) होने का 51 फीसदी अधिक खतरा हो सकता है।
यह तो हम सभी जानते है कि सिगरेट-बीड़ी के धुएं से मनुष्यों में कैंसर पनपता है। यही नहीं, इसे दुनिया में कैंसर से संबंधित पांच मौतों में से एक का कारण भी बताया गया है।
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लेकिन 192 देशों के आंकड़ों से पता चला है कि धूम्रपान करने वालों के अलावा, धूम्रपान न करने वाले 33 फीसदी पुरुष, 35 फीसदी महिलाएं और 40 फीसदी बच्चे भी एक साल तक दूसरों के धूम्रपान की चपेट में आकर इस बीमारी से ग्रस्त हो चुके है।
सेकेंड हैंड स्मोक में सांस लेने से फेफड़ों के कैंसर सहित कई बीमारियां होती है, लेकिन इससे मुंह का कैंसर भी होता है, यह साबित करने के लिए पुर्तगाल, ब्रिटेन, स्पेन और यूएस के शोधकर्ताओं की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने पांच प्रमाणित अध्ययनों की समीक्षा की।
इनमें शामिल 6,977 मनुष्यों में से 3,452 सेकेंड हैंड स्मोक के संपर्क में थे और 3,525 नहीं थे।
विश्लेषण से पता चला कि सेकेंड हैंड स्मोक के संपर्क में आए मनुष्यों में मुंह के कैंसर के विकास का जोखिम 51 फीसदी अधिक था।
इसके अलावा, सेकेंड हैंड स्मोक से बचे हुए मनुष्यों की तुलना में 10 या 15 साल से अधिक समय तक ऐसे धुएं में सांस लेने वालों में मुंह के कैंसर का जोखिम दुगुने से अधिक बढ़ गया था।
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आपको बता दें कि पूरी दुनिया में हर साल मुंह के कैंसर से जुड़े 4,47,751 नए मामले सामने आते है, जिनसे 2,28,389 मौतें होती है।
इस तरह के कैंसर करने में धूम्रपान और धूम्रपान रहित तंबाकू, शराब और सुपारी का सेवन शामिल है।