अवसाद (depression) कैसे इंसानी दिमाग से शुरू होकर पूरे शरीर को धीरे-धीरे मौत की ओर धकेल देता है, इसका ताजा उदाहरण एक हालिया अध्ययन में देखने को मिला।
सनफ्रांसिस्को विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों की एक टीम ने मेजर डिप्रेसिव डिसऑर्डर (MDD) बीमारी से पीड़ितों की कोशिकाएं (cells) जांचने पर उनकी तेजी से उम्र बढ़ने पर जल्द मौत होने की संभावना देखीं।
लेकिन जिन स्वस्थ इंसानों को यह बीमारी नहीं थी, उनको ऐसा कोई खतरा नहीं था।
मेजर डिप्रेसिव डिसऑर्डर, डिप्रेशन का ही एक रूप माना जाता है। इससे प्रभावित पीड़ित लगातार उदास रहता है और दैनिक कार्यों में रूचि नहीं दिखाता।
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विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, दुनिया में लगभग तीन करोड़ मनुष्य डिप्रेशन के किसी न किसी रूप से पीड़ित है। विकार बढ़ने पर इससे पीड़ितों में डायबिटीज, हृदय और अल्जाइमर रोग से होने वाली मृत्यु दर भी अधिक होती है।
ट्रांसलेशनल साइकियाट्री (Translational Psychiatry) जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन में, वैज्ञानिकों ने ऐसी बीमारी वालों के रक्त से लिए नमूनों का विश्लेषण ‘ग्रिमेज’ (GrimAge) घड़ी द्वारा डीएनए मिथाइलेशन (DNA methylation) प्रक्रिया देखने के लिए किया।
इस प्रक्रिया के तहत, सेल्स इंसानी जीन की गतिविधियों को नियंत्रित करते है। इसके आधार पर ही किसी व्यक्ति के शेष जीवनकाल की भविष्यवाणी की जा सकती है।
प्रक्रिया में पीड़ितों के सेल्स की उम्र, स्वस्थ हमउम्र इंसानों की तुलना में, बढ़ी हुई मिली। फलस्वरूप, उनकी मृत्यु जल्द होना निश्चित थी।
ताज्जुब की बात यह थी कि अध्ययन में शारीरिक स्वास्थ्य जांच के दौरान मेजर डिप्रेसिव डिसऑर्डर वालों में आयु-संबंधित विकृति का कोई बाहरी संकेत नहीं दिखा।
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वैज्ञानिकों को डिप्रेशन का मस्तिष्क विकार से शुरू होकर पूरे शारीरिक विकार में बदलना हैरान करने वाला लगा।
उनका कहना था इससे डिप्रेशन के प्रति हमारी सोच और देखने का नजरिया बदल जाएगा।
हालांकि, क्या डिप्रेशन ही कुछ इंसानों में डीएनए मिथाइलेशन प्रक्रिया को बदलता है या इसके पीछे कोई और कारण छुपा है, इस बारे में वैज्ञानिकों को कुछ पता नहीं चला।
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