कोरोनरी आर्टरीज डिजीज (coronary artery disease) वाले लगभग 30 फीसदी रोगियों को डायबिटीज (diabetes) से ग्रस्त पाया गया, ऐसा एक बड़े अध्ययन ने बताया।
यूरोपियन सोसाइटी ऑफ कार्डियोलॉजी (ईएससी) की एक पत्रिका में विश्व स्वास्थ्य दिवस (World Health Day) पर प्रकाशित इस अध्ययन के अनुसार, ऐसा असर सामान्य आबादी में व्याप्त लगभग नौ फीसदी डायबिटीज के मुकाबले देखा गया।
हालांकि, इसमें भौगोलिक भिन्नता भी व्याप्त थी – जैसे खाड़ी देशों में दिल की बीमारी के 60 फीसदी रोगियों को यूरोप के 20 फीसदी के मुकाबले डायबिटीज थी।
अध्ययन करने वाले विशेषज्ञों का कहना था कि जिन देशों में डायबिटीज का ज्यादा असर देखा गया, वहां मोटापा (obesity) महामारी की तरह बढ़ रहा था। निसंदेह, इसके पीछे शहरीकरण, शारीरिक गतिविधि और भोजन में आए परिवर्तन जिम्मेदार थे।
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बढ़ते मोटापे और व्यायाम न करने से डायबिटीज और हृदय रोगियों दोनों के जीवन को खतरा है। इससे बचने के लिए दुनिया भर में आहार परिवर्तन और शारीरिक गतिविधियां बढ़ाने की तत्काल आवश्यकता है।
अपनी तरह के इस विशाल अध्ययन में यूरोप, एशिया, अमेरिका, मिडिल ईस्ट, ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका के 45 देशों के गंभीर कोरोनरी सिंड्रोम से ग्रस्त लगभग 33,000 मरीजों का विश्लेषण किया गया। सभी के स्वास्थ्य की पांच सालों तक निगरानी की गई।
दुर्भाग्यवश, ज्यादातर स्वास्थ्य समस्याओं से केवल डायबिटीज के रोगियों की तुलना में डायबिटीज वाले हृदय रोगी ज्यादा जूझ रहे थे।
पांच साल निगरानी रखने के दौरान विशेषज्ञों ने, डायबिटीज वाले कोरोनरी हार्ट डिजीज के मरीजों को मृत्यु का 38 फीसदी ज्यादा खतरा देखा।
यही नहीं, उन मरीजों में हार्ट अटैक, स्ट्रोक या अन्य किसी दिल संबंधी बीमारी से मौत की 28 फीसदी ज्यादा आशंका थी।
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हालांकि, किसी भी देश के बिना डायबिटीज वाले दिल के मरीजों की हालत उनके मुकाबले संतोषजनक थी।
अध्ययन के निष्कर्षों में शोधकर्ताओं की यही सलाह थी कि हर कोई वजन पर नियंत्रण और व्यायाम के साथ डायबिटीज बढ़ने पर रोक लगाए। बीमारी का जल्द पता लगाना भी जरूरी है, ताकि ब्लड शुगर नियंत्रित रह सके।
जिन्हें दिल की बीमारी और डायबिटीज दोनों हो, उन्हें सक्रिय जीवनशैली और एक अच्छे पौष्टिक आहार की आवश्यकता होगी। ऐसे मरीज धूम्रपान, हाई ब्लड प्रेशर और खराब कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करें।