क्या आप जानते है कि ज्यादातर दवाओं में जानवरों के शरीर से निकाले गए तत्वों का इस्तेमाल होता है?
जर्नल ऑफ ओस्टियोपैथिक मेडिसिन में छपे एक नए अध्ययन के अनुसार, डॉक्टरों और फार्मासिस्टों को दवा (medicine) खाने वाले मरीजों को यह बताना चाहिए कि उनमें पशुओं से निकाले उत्पाद (animal byproducts) शामिल है, ताकि उनकी धार्मिक भावनाओं को ठेस न पहुंचे।
आमतौर पर खून को पतला करने की दवाएं और हार्मोन सहित सामान्य दवाएं भी जानवरों के शरीर से निकले पदार्थों से बनाई जाती है, जो मरीजों को उनके धर्म या विश्वास के बारे में जाने बिना ही दे दी जाती है।
अध्ययन के विशेषज्ञों के अनुसार, कई धर्म जानवरों से प्राप्त उत्पादों के उपयोग को त्यागने के लिए कहते है। इनमें यहूदी और मुस्लिमों को सूअरों से; हिंदुओं को गायों या बछड़ों से तथा सिखों, बौद्ध, हिंदू वैष्णवों और कुछ ईसाई संप्रदाय से संबंधित आस्तिकों को अन्य जानवरों के मांस, खून या अंगों से बनी दवाएं अस्वीकार्य होती है।
- Advertisement -
“मरीजों को यह जानने का हक है कि उनकी दवाएं किस चीज से बनी है, फिर भी यह जानकारी शायद ही उनसे साझा की जाती हो। यदि ऐसी दवाओं के दूसरे विकल्प भी हो तो उन्हें जरूर बताना चाहिए,” यह कहना था अध्ययन की लेखिका सारा रीड का।
जानवरो से बनी दवाओं के बारे में अध्ययन के विशेषज्ञों ने बताया कि ज्यादातर थायराइड ठीक करने वाली, हार्ट अटैक और सर्जरी के बाद खून के थक्कों को रोकने एवं पतला करने वाली और महिलाओं के मासिक धर्म और संबंधित अनियमितताओं का इलाज करने वाली दवाएं सूअरों तथा अन्य जानवरों के उत्पादों से बनाई जाती है।
कई देशों ने इससे जुड़े दिशानिर्देश फार्मास्यूटिकल्स कंपनियों को दिए भी हुए है, लेकिन अमेरिका की भोजन और दवाओं से इंसानी सुरक्षा के लिए बनी संस्था एफडीए (FDA) के पास ऐसा कोई नियम नहीं है।
ऐसे में, सरकारी मार्गदर्शन के बिना डॉक्टरों और फार्मासिस्टों को चाहिए कि वो मरीजों से जरूर पूछें कि क्या वे पशु उत्पादों से बनी दवाओं का सेवन करेंगे या नहीं? साथ ही, मरीजों को भी दवाओं के इस्तेमाल से पहले जागरूक रहना चाहिए।
ALSO READ: ऐसे खाना खा रहें है तो सावधान