अच्छा फिटनेस लेवल न केवल बड़ों बल्कि बच्चों की भी शारीरिक और मानसिक क्षमता को प्रभावित करता है।
एक नई रिसर्च में वैज्ञानिकों के एक दल ने शरीर की उच्च एरोबिक क्षमता और ताकत दोनों को मस्तिष्क की कार्य कुशलता से जुड़े ग्रे और व्हाइट मैटर (gray and white matter) की मात्रा से संबंधित पाया।
साथ ही, अधिक वजन या मोटे बच्चों की फिटनेस लेवल (fitness level) कम होने का असर उनकी दिमागी कुशलता (cognitive performance) पर भी देखा गया।
इसके अलावा, मस्तिष्क में व्हाइट मैटर की ज्यादा मात्रा बेहतर मानसिक प्रदर्शन से जुड़ी हुई बताई गयी।
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गौरतलब है कि मस्तिष्क में अधिक व्हाइट मैटर को उच्च कार्य कुशलता, बुद्धि और सीखने-याद रखने की क्षमता से संबंधित माना जाता रहा है।
एक परियोजना के तहत ग्रेनाडा विश्वविद्यालय और अन्य संस्थानों के शोधकर्ताओं की एक टीम ने 100 से ज्यादा ऐसे बच्चों का विश्लेषण किया जो बढ़े हुए वजन या मोटापे से ग्रस्त थे।
स्कैंडिनेवियाई जर्नल ऑफ मेडिसिन एंड साइंस इन स्पोर्ट्स पत्रिका में प्रकाशित इस रिसर्च में चुस्त-दुरुस्त बच्चों के दिमागी आकार और क्षमता, खराब सेहत वाले बच्चों की तुलना में ज्यादा पाई गई।
रिसर्च बेहतर मस्तिष्क विकास के लिए कम उम्र में ही अच्छी शारीरिक फिटनेस के महत्व को दर्शाती है।
पिछले अध्ययन भी बताते है कि उम्र बढ़ने की प्रक्रिया के दौरान मस्तिष्क सिकुड़ता है जिसे एक्सरसाइज और फिट रहने से धीमा किया जा सकता है।
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लेकिन इस रिसर्च से पहली बार ये पता चला है कि बचपन में ही अगर शरीर को फिट रखा जाए तो विकसित होते मस्तिष्क को अधिक समय तक सेहतमंद और कार्यशील बनाया जा सकता है।
रिसर्च के आधार पर वैज्ञानिकों के दल का कहना था कि स्कूलों में बच्चों के फिटनेस स्तर का आकलन करके न केवल उनके शारीरिक, बल्कि मस्तिष्क स्वास्थ्य के बारे में भी जानकारी मिल सकती है।
साथ ही, एक्सरसाइज से उनकी फिटनेस के स्तर को बढ़ाने से मस्तिष्क के विकास और कार्य कुशलता को भी लाभ हो सकता है।