दैनिक जीवन में आने वाली छोटी-मोटी असुविधाएं तनाव करने के बावजूद मस्तिष्क के लिए लाभकारी होती है, ऐसा एक नई रिसर्च का दावा है।
पेन स्टेट के शोधकर्ताओं ने पता लगाया है कि जिन लोगों को तनाव (stress) नहीं होता वो भले ही स्वयं को सेहतमंद समझें, लेकिन उनकी ज्ञान और समझबूझ (cognitive function) की शक्ति कम आंकी गई है।
दरअसल इसकी प्रबल संभावना है कि तनाव पैदा करने वाली घटनाएं आपको किसी समस्या को हल करने का मौका दें।
इसलिए तनाव का अनुभव करना सुखद भले ही न हो लेकिन आपको एक समस्या को हल करने के लिए मजबूर जरूर कर सकता है।
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वास्तव में ऐसा करना मस्तिष्क की कार्यकुशलता को बढ़ाने के लिए आवश्यक है, खासकर जब हम उम्रदराज होते जाते है।
शोधकर्ताओं ने इस धारणा को ध्यान में रखकर दो हजार से ज्यादा लोगों का अध्ययन किया जिसमें उनके तनाव से जुड़ी स्थितियों और शरीर पर प्रभावों को जाना गया। इसके अलावा, उन्हें मस्तिष्क की कार्य कुशलता से जुड़े एक छोटे से टेस्ट में भी शामिल किया गया।
अध्ययन में हिस्सा लेने वालों ने काम, जीवन और रिश्तों से संबंधित तनावों के अलावा पिछले 24 घंटों के सकारात्मक अनुभवों को भी बताया।
सबका विश्लेषण करने के बाद शोधकर्ताओं ने पाया कि अध्ययन के दौरान कुछ 10 फीसदी की सेहत को तनाव से अप्रभावित रहने पर फायदा हुआ। इन लोगों का मूड पूरे दिन बेहतर रहा।
हालांकि, तनाव से अप्रभावित रहने वालों ने मस्तिष्क की कार्य कुशलता से जुड़े टेस्ट में अच्छा प्रदर्शन नहीं किया।
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इसके अतिरिक्त, उन्होंने दिन भर में होने वाली सकारात्मक चीजों का कम अनुभव किया। ऐसे लोगों में आमतौर पर बूढ़े, पुरुष, अविवाहित, कोई काम न करने वाले और दूसरों को कम भावनात्मक सहयोग देने या लेने वाले शामिल थे।
इमोशन पत्रिका में प्रकाशित अध्ययन के निष्कर्ष बताते है कि तनाव होना जीवन में हमारा कार्यों में व्यस्त रहने का संकेत है। ये वो स्थितियां है जो हमारे जीवन में चुनौतियाँ पैदा करती है और हमें उन पर काबू पाकर सीखने का अवसर देती है।
सेहत के लिए इनकी संख्या के मुकाबले, इनसे तनावग्रस्त और चिंतित होना ज्यादा हानिकारक है।