दुनिया के 30 सबसे प्रदूषित शहरों में से 22 भारत में है जिनमें दिल्ली को सबसे अधिक प्रदूषित राजधानी बताया गया है।
स्विस संगठन IQAir की 2020 की विश्व वायु गुणवत्ता रिपोर्ट (2020 World Air Quality Report) में दिल्ली के अलावा, 21 अन्यों में उत्तर प्रदेश का गाजियाबाद, बुलंदशहर, बिसरख जलालपुर, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, कानपुर, लखनऊ, मेरठ, आगरा और मुजफ्फरनगर; राजस्थान का भिवाड़ी, हरियाणा का फरीदाबाद, जींद, हिसार, फतेहाबाद, बंधवाड़ी, गुरुग्राम, यमुना नगर, रोहतक और धारूहेड़ा तथा बिहार का मुजफ्फरपुर दुनिया के 30 सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल बताए गए है।
इस ग्लोबल रिपोर्ट का उद्देश्य COVID -19 लॉकडाउन के प्रभाव और विश्व में व्याप्त पार्टिकुलेट प्रदूषण (PM2.5) में परिवर्तन का पता लगाना है।
फाइन पार्टिकुलेट मैटर (PM2.5) एक वायु प्रदूषक है जो दुनिया भर के लोगों की सेहत के लिए एक चिंता का विषय है। यह हृदय रोग, फेफड़ों के कैंसर, अंधापन आदि कई घातक बीमारियों का खतरा पैदा करता है।
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दुनिया भर के शहरों की रैंकिंग रिपोर्ट 106 देशों के PM2.5 डेटा पर आधारित है, जिसे सरकारी एजेंसियों द्वारा संचालित निगरानी स्टेशनों द्वारा मापा जाता है।
2020 की रिपोर्ट में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा निर्धारित PM2.5 की सुरक्षित मात्रा पर 106 में से केवल 24 देश ही खरे उतरें।
रिपोर्ट में कहा गया है कि दुनिया भर के 30 सबसे प्रदूषित शहरों में से 22 शहरों के साथ भारत सबसे प्रदूषित शहरों की रैंकिंग में सर्वोच्च स्थान पर है।
हालांकि, साल 2020 में सभी भारतीय शहरों में 2018 की अपेक्षा वायु गुणवत्ता में सुधार हुआ, जबकि कुछ में 2019 के मुकाबले 63 प्रतिशत सुधार देखा गया।
दिल्ली की हवा की गुणवत्ता में 2019 से 2020 तक लगभग 15 प्रतिशत का सुधार हुआ। इसके बावजूद, दिल्ली 10वें सबसे प्रदूषित शहर और दुनिया में शीर्ष प्रदूषित राजधानी के रूप में स्थापित है।
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रिपोर्ट से जुड़े विशेषज्ञों के मुताबिक, भारत के वायु प्रदूषण के प्रमुख स्रोतों में परिवहन, खाना पकाने के लिए बायोमास जलाना, बिजली उत्पादन, उद्योग, निर्माण, कूड़ा-कचरा और फसलों के अवशेष जलाना शामिल हैं। बढ़ते वायु प्रदूषण के खतरे का मुकाबला करने के लिए सभी देशों की सरकारों को तत्काल कार्रवाई और आवश्यक रोकथाम कदम उठाना जरूरी है।