टाइप 2 डायबिटीज से पार्किंसंस रोग जैसे दिमागी विकार होने का ज्यादा खतरा है, ऐसा दावा लंदन की एक यूनिवर्सिटी ने किया है।
इसी अध्ययन में पाया गया कि जिनको पहले से ही पार्किंसंस रोग (Parkinson’s disease) है, उनमें टाइप 2 डायबिटीज (Type 2 diabetes) इस बीमारी को और तेजी से बढ़ा सकती है।
पार्किंसंस के लक्षण सामान्यता धीरे-धीरे दिखने शुरू होते है और समय बढ़ने के साथ बदतर होते जाते है। बीमारी बढ़ने पर प्रभावित मरीजों को चलने फिरने और बोलचाल में दिक्कतें आनी शुरू हो जाती है।
मूवमेंट डिसऑर्डर जर्नल में प्रकाशित इस अध्ययन में पार्किंसंस रोग के जोखिम और प्रगति पर टाइप 2 डायबिटीज के प्रभाव का मूल्यांकन करने के लिए जेनेटिक डेटा और अन्य विश्लेषणों का उपयोग किया गया।
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क्वीन मेरी यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन के खोजकर्ताओं द्वारा की इस स्टडी का सुझाव है कि डायबिटीज के लिए उपलब्ध दवाओं से पार्किंसंस के खतरे और प्रगति को धीमा किया जा सकता है।
इसके अलावा, पार्किंसंस के रोगियों को टाइप 2 डायबिटीज पर नजर रखने और शुरुआती दौर में ही इलाज करवा लेना चाहिए।
अध्ययन के लेखकों का दावा है कि कई अन्य अध्ययनों के परिणामों को शामिल कर सुनिश्चित किया गया कि टाइप 2 डायबिटीज न केवल पार्किंसंस होने की आशंका को, बल्कि इस बीमारी की प्रगति को भी प्रभावित करती है।
संतुष्टि की बात यह रही कि डायबिटीज के लिए उपलब्ध रोकथाम इलाज को ही पार्किंसंस के उपचार के लिए लागू किया जा सकता है।
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