प्रीडायबिटीज (prediabetes) होने से याददाश्त और मानसिक क्षमता को नुकसान हो सकता है, ऐसा एक नए अध्ययन में देखा गया है।
बढ़े हुए ब्लड शुगर से एकदम डायबिटीज (diabetes) भले ही न हो, लेकिन इससे हमारे दिमाग की सेहत कैसे प्रभावित हो सकती है, ऐसी जांच करने वाला यह पहला अध्ययन माना गया।
इसमें यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के शोधकर्ताओं ने 50 से ज्यादा उम्र वाले पांच लाख लोगों के डेटा का विश्लेषण किया।
उन्होंने पाया कि लगभग चार वर्षों में सामान्य ब्लड शुगर लेवल से अधिक के इंसानों में दिमागी अनिश्चितता और भूलने की संभावना 42 फीसदी अधिक थी।
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इसके अलावा, उनमें लगभग आठ वर्षों में 54 फीसदी अधिक वैस्कुलर डिमेंशिया (vascular dementia) विकसित होने की संभावना थी। यह बीमारी मस्तिष्क में कम ब्लड फ्लो के कारण होने वाले डेमेंशिया (dementia) विकार का ही एक सामान्य रूप है।
अध्ययन में, विभिन्न ब्लड शुगर लेवल का समय बीतने पर मानसिक क्षमता से जुड़ाव देखने के लिए शोधकर्ताओं ने कुछ लोगों का ब्लड शुगर टेस्ट और दिमाग का एमआरआई (MRI) स्कैन किया।
परिणामों के आधार पर प्रतिभागियों को पांच समूहों में विभाजित किया गया। इसमें ब्लड शुगर के ‘कम-सामान्य’ स्तर, सामान्य स्तर, प्रीडायबिटीज, बिना डायबिटीज और डायबिटीज वाले शामिल थे।
42 से 48 mmol / mol के बीच के परिणाम को प्रीडायबिटीज कहा गया। प्रीडायबिटीज वाले इंसानों में ब्लड शुगर का स्तर सामान्य से अधिक होता है, लेकिन इतना ज्यादा नहीं कि उन्हें टाइप 2 डायबिटीज हो जाए।
प्रतिभागियों की मानसिक क्षमता में कमी थी या नहीं यह निर्धारित करने के लिए विजुअल मेमोरी (visual memory) के आकलन से मिले डेटा का कई बार उपयोग किया गया।
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शोधकर्ताओं ने पाया कि प्रीडायबिटीज और डायबिटीज वालों की मानसिक क्षमता में क्रमशः 42 फीसदी और 39 फीसदी की ज्यादा कमी थी।
प्रीडायबिटीज वालों को वैस्कुलर डिमेंशिया बीमारी होने की भी ज्यादा संभावना थी।
डायबिटीज के मरीजों में तो इस बीमारी के होने की सामान्य ब्लड शुगर वालों की तुलना में तीन गुना अधिक संभावना थी।
शोधकर्ताओं की सलाह थी कि प्रीडायबिटीज वालों को टाइप 2 डायबिटीज से बचने के लिए हेल्थी डाइट, ज्यादा एक्टिव रहना और वजन नियंत्रित रखना चाहिए।