अक्सर कुछ चीजों को देखकर या सोचकर हमें घिन आने लगती है, लेकिन ऐसा करना हमें इंफेक्शन से बचता है।
प्रोसीडिंग्स ऑफ द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज (Proceedings of the National Academy of Sciences) में प्रकाशित एक नया अध्ययन बताता है कि दिमाग का घृणा या अरुचि व्यक्त करना दूषित वस्तुओँ और उनसे हो सकने वाले इंफेक्शन से बचाने का तरीका हो सकता है।
घिन आने का स्तर जितना अधिक होगा, संक्रमित होने का खतरा उतना ही कम होगा।
इस भावना से क्या हम वाकई रोगजनक संक्रमणों से बच सकते है, यह देखने के लिए खोजकर्ताओं ने अमेज़न क्षेत्र में रहने वाले कुछ लोगों से मरे हुए जानवर को छूने या जानवर के मल पर पांव रख देना जैसे घृणित कामों का अनुमान लगाने के लिए कहा।
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उन लोगों में ऐसा सोचने से होने वाली घिन का स्तर कम था क्योंकि उनके लिए यह लगभग हर रोज की बात थी। लेकिन शहरी क्षेत्रों में रहने वालों में ऐसा सोचने मात्र से ही घिन आने का स्तर बढ़ा हुआ मिला।
परंतु खोजकर्ताओं का कहना था कि यह विचार कोरोना महामारी के संक्रमण पर लागू नहीं होता क्योंकि इसमें ऐसा कुछ नहीं जिसे आप देख सकें।
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