अधिक वजन वाले, मोटापे और डायबिटीज से ग्रस्त लोगों में नॉन-अल्कोहल फैटी लिवर बीमारी (Non-Alcoholic Fatty Liver Disease- NAFLD) विकसित होने का खतरा बढ़ रहा है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सोमवार को बताया कि वर्तमान में भारतीय आबादी में यह बीमारी 9 से 32 प्रतिशत के आसपास है और लिवर की बीमारी के एक महत्वपूर्ण कारण के रूप में उभर रही है।
स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन के अनुसार, फैटी लिवर बीमारी ऐसी अवस्था है जिसमे शराब कम या न पीने, वायरल हेपेटाइटिस या दवाओं के चलते जिगर में अतिरिक्त वसा जमा हो जाती है।
इससे लंबे समय तक ग्रस्त रहने वाले व्यक्ति को सिरोसिस, लिवर कैंसर और अन्य भयंकर बीमारियां घेर लेती है जिनके चलते जिगर (liver) बदलने की आवश्यकता हो सकती है।
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नॉन-अल्कोहल फैटी लिवर बीमारी (NAFLD) का बढ़ता घेरा
पिछले दो दशकों में इस बीमारी से दुनिया पर पड़ने वाला बोझ दोगुने से अधिक हो गया है।
बीमारी के शोधकर्ताओं ने टाइप 2 डायबिटीज के 40 से 80 प्रतिशत मरीजों और मोटापे से ग्रस्त 30 से 90 प्रतिशत लोगों में नॉन-अल्कोहल फैटी लिवर बीमारी (NAFLD) होना पाया है।
यहीं नहीं, इस बीमारी वालों में हृदय रोग विकसित होने की भी अधिक संभावना होती है।
नॉन-अल्कोहल फैटी लिवर बीमारी (NAFLD) से बचाव
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एक बार जब बीमारी विकसित हो जाती है, तो कोई विशिष्ट इलाज उपलब्ध नहीं होता, सिवाय वजन कम करने, स्वस्थ जीवनशैली अपनाने, और ऐसे ही अन्य जोखिम कारकों को नियंत्रित करने के।
इसलिए भारत सरकार NAFLD जैसे गैर-संचारी रोगों से होने वाली मौतों को कम करने के लिए ऐसी स्वास्थ्य योजनाएं ला रही है जिन्हें जीवनशैली में बदलाव, शीघ्र निदान और संबद्ध गैर-संचारी रोगों के प्रबंधन के साथ-साथ इस रोग से बचाने में भी जोड़ा जा सकता है।
नॉन-अल्कोहल फैटी लिवर बीमारी (NAFLD) रोकने में भारत की पहल
गैर-संचारी रोगों के कारण होने वाली मौतों पर अंकुश लगाने के लिए सरकार द्वारा लागू योजनाओं पर बात करते हुए डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि भारत NAFLD रोकने की आवश्यकता समझने वाला दुनिया का पहला देश है।
इसके लिए आयुष्मान भारत- हेल्थ और वेलनेस केंद्रों (एबी-एचडब्ल्यूसी) के महत्व पर जोर दिया जा रहा है।
योजना के तहत अब तक उच्च रक्तचाप, मधुमेह और कैंसर के लाखों लोगों की जांच की गई है। सामुदायिक स्तर पर लाखों लोगों के लिए योग और वेलनेस सत्रों का आयोजन किया गया है और साथ ही ‘Eat Right India’ और ‘Fit India Movement’ पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है।
डॉ हर्षवर्धन ने सुझाव दिया कि हम सबको बीमारियों से बचाने में मदद करने वाली एक फिट जीवनशैली अपनाने की जरूरत है। सभी को अपने स्वास्थ्य में सुधार करने और शारीरिक रूप से सक्रिय रहने के लिए एक-दूसरे को प्रोत्साहित करना चाहिए।