फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) ने खाने की वस्तुओं में हानिकारक ट्रांस फैट की मात्रा में कटौती करने वाले नियमों को सूचित किया है।
29 दिसंबर 2020 को जारी अधिसूचित विनियमन के तहत, FSSAI ने कहा है कि जनवरी 2021 से सभी फैटस और ऑयल्स में इंडस्ट्रियल ट्रांस फैटी एसिड्स 3 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होंगे।
इस विनियमन में आगे कहा गया है कि सभी खाद्य उत्पादों जिसमें खाद्य तेल और वसा एक घटक (ingredient) के रूप में उपयोग किए जाते है, उनमें 1 जनवरी, 2022 से उत्पाद में मौजूद कुल तेलों / वसा के द्रव्यमान से इंडस्ट्रियल ट्रांस फैटी एसिड 2 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए।
औद्योगिक ट्रांस फैट को वनस्पति तेलों में हाइड्रोजन जोड़कर उन्हें ठोस बनाने के लिए उत्पादित किया जाता है, जिससे कमरे के तापमान पर उनकी स्थिरता बढ़ जाती है। इससे पैकेटबंद खाने की वस्तुओं की शेल्फ लाइफ बढ़ जाती है।
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ट्रांस फैट मुख्य रूप से बेक्ड और तले हुए खाद्य पदार्थों जैसे चिप्स, बिस्कुट, समोसे, मठरी में पाया जाता है।
FSSAI के अनुसार, शोध से पता चला है कि इंडस्ट्रियल ट्रांस फैटी एसिड से बनी वस्तुओं को ज्यादा खाने से हाई कोलेस्ट्रॉल और हृदय रोगों से संबंधित खतरा हो सकता है।
ट्रांस फैटी एसिड की मात्रा को नियंत्रित करने वाले इस अधिनियम के लागू होने से भारत वैश्विक रूप से लगभग 40 देशों के उस क्लब में शामिल हो गया है, जिन्होंने ट्रांस फैट को खत्म करने के लिए पहले से ही सबसे अच्छी अभ्यास नीतियों को लागू किया हुआ है।
इन नीतियों के अभ्यास से भारत थाईलैंड के बाद ट्रांस फैट खत्म करने वाला एशिया के पहले देशों की लिस्ट में शामिल होगा।
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