पुरुषों की तुलना में महिलाओं की रात के समय आए अचानक कार्डियक अरेस्ट (sudden cardiac arrest) से ज्यादा मौत होती है।
कैलिफ़ोर्निया के सेंटर फॉर कार्डियक अरेस्ट प्रिवेंशन (Center for Cardiac Arrest Prevention) के खोजकर्ताओं की इस नई स्टडी में 4,126 मरीजों के रिकॉर्ड देखे गए।
इनमें 3,208 मामले दिन के समय हुए कार्डिक अरेस्ट के थे और 918 रात के समय से जुड़े हुए थे। दिन के समय हुए कार्डियक अरेस्ट मामलों की तुलना में रात के समय इससे प्रभावित मरीजों में ज्यादातर महिलाएं थी।
कार्डियक अरेस्ट (cardiac arrest) क्या है?
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अचानक कार्डियक अरेस्ट दिल धड़कने की लय में आई एक इलेक्ट्रिकल डिस्टर्बेंस है जिसके कारण दिल धड़कना बंद कर देता है। अक्सर लोग इसे दिल का दौरा (heart attack)समझ लेते है।
दरअसल दिल का दौरा कोलेस्ट्रॉल प्लाक के बनने से कोरोनरी धमनियों में आई रुकावट से होता है और इसके अधिकांश लक्षण स्पष्ट होते है। लेकिन कार्डिएक अरेस्ट के नहीं।
स्टडी के अनुसार, ऐसा देर रात के दौरान अधिकांश मरीजों का आरामदायक अवस्था में होने के साथ धीमे मेटाबॉलिज्म, हार्ट रेट और ब्लड प्रेशर से होता है।
फेफड़ों की बीमारी का कार्डियक अरेस्ट से संबंध
खोजकर्ताओं के दल ने यह भी पाया कि फेफड़ों की बीमारी की व्यापकता भी उन मरीजों में अधिक थी जिनकी रात में कार्डियक अरेस्ट से मौत हुई थी।
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ऐसा मस्तिष्क को प्रभावित करने वाली दवाओं, जिनमें से कुछ में सांस लेने को प्रभावित करने की क्षमता होती है, को दिन के मुकाबले रात के कार्डियक अरेस्ट वालों द्वारा अधिक उपयोग में पाया गया।
दवाएं संभल कर खाएं
इन निष्कर्षों से पता चलता है कि उच्च जोखिम वाले रोगियों, विशेष रूप से महिलाओं को, दर्द और डिप्रेशन के लिए निर्धारित ऐसी दवाओं (जो मस्तिष्क को प्रभावित करती हो) को लेने की सलाह देते समय डॉक्टरों को सतर्क रहना चाहिए।