कोरोना महामारी से आमजन की मानसिक और शारीरिक सेहत पर तो बुरा असर हुआ ही है लेकिन इसके दुष्प्रभाव से चिकित्सक भी नहीं बच पाए है।
एक नई रिपोर्ट के अनुसार, Covid-19 महामारी ने डॉक्टरों, विशेषकर महिला चिकित्सकों और नर्सों, को मानसिक और भावनात्मक रूप से बहुत ज्यादा प्रभावित किया है।
Medscape National Physician Burnout & Suicide Report 2021 के अनुसार, महामारी से मेडिकल क्षेत्र के कर्मचारियों पर बढ़ते बोझ के कारण स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़ी महिलाओं में काम से संबंधित थकान, हताशा और चिड़चिड़ापन, पुरुषकर्मियों के मुकाबले, 51 फीसदी ज्यादा देखा गया।
इन निष्कर्षों के लिए 12,339 अमेरिकी चिकित्सकों की ऑनलाइन सर्वेक्षण द्वारा प्रतिक्रिया ली गयी थी। यह सर्वेक्षण 30 अगस्त से 5 नवंबर, 2020 के बीच किया गया।
- Advertisement -
रिपोर्ट में महिला चिकित्सकों पर घर-परिवार और बच्चों की जिम्मेदारियां पुरुषों के मुकाबले ज्यादा बताई गई है।
इसके अलावा, बच्चों को घर पर पढ़ाने और बच्चों की देखभाल के लिए बड़ों का न होना भी उनकी मानसिक सेहत बिगाड़ने वाला कारक था।
साथ ही, सभी डॉक्टरों और नर्सों से उनके परिवारों को वायरस संक्रमण होने का खतरा भी चिंतित करने वाला पहलू था।
लंबी कार्यावधि से संबंधित तनाव, महामारी का खतरा, सामाजिक दूरी और वित्तीय अनिश्चिताओं ने चिकित्सकों के कार्य और जीवन की खुशी को कम किया। इनमे से अधिकांश ने साल 2020 के कोरोनाकाल से पहले स्वयं को ज्यादा खुश और पारिवारिक बताया।
रिपोर्ट बताती है कि व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण (पीपीई) की कमी, कठिन परिस्थितियां, लंबे कार्य घंटे, मरीजों को खोने का दु:ख, और मरीजों के परिवारों को पीड़ित देखने से कई फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं के तनाव और थकावट में अत्यंत बढ़ोतरी हुई।
- Advertisement -
20 प्रतिशत चिकित्सकों ने कहा कि साल 2020 में वे उदास रहे, हर पांच में से एक ने क्लिनिकल डिप्रेशन की सूचना दी, और दो-तिहाई से अधिक ने कहा कि उन्हें 2020 के दौरान अवसाद महसूस हुआ।
डिप्रेशन की रिपोर्ट करने वालों में से 13 प्रतिशत ने कहा कि उन्होंने आत्मघाती विचारों का अनुभव किया और 1 प्रतिशत ने आत्महत्या का प्रयास भी किया।
पुरुष और महिला दोनों चिकित्सकों ने कोरोना मरीजों के इलाज के मुकाबले काम और जीवन के बीच संतुलन न बन पाने को अपनी मुख्य चिंता बताया।
42 फीसदी चिकित्सकों का मानना था कि प्लानिंग से बनाया हुआ शेड्यूल कार्यस्थल की थकावट और तनाव को कम करने में मदद कर सकता था।
ALSO READ: बिना कोरोना वैक्सीन के भारतीय कर्मचारी नहीं जाना चाहते ऑफिस: सर्वे